टोक्‍यो। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के अंतिम संस्कार में शोक व्यक्त करने से ज्यादा इस समय तनाव का माहौल बना हुआ है। जानकारी के लिए बता दें कि शिंजो आबे का अंतिम संस्कार बुडोकन हॉल में किया जा रहा है। इस बीच रेलवे स्टेशनों के आसपास पुलिस को तैनात किया गया और कड़ी सुरक्षा की गई। अंतिम संस्‍कार स्थल के चारों ओर की सड़कों को दिनभर के लिए बंद कर दिया गया है।

क्या है विपक्षियों का कहना

शिंजो आबे के अंतिम संस्कार का विरोध कर रहे विपक्षियों का कहना है कि संसदीय अनुमोदन के बिना जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा ने एकतरफा निर्णय लिया जो कि अलोकतांत्रिक था। बता दें कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंतिम संस्कार कानून को जापान में समाप्त कर दिया गया था। वर्ष 1967 में शिगेरू योशिदा एकमात्र ऐसे राजनेता थे जिनका राजकीय अंतिम संस्कार किया गया था, इन्हें भी आलोचना का सामना करना पड़ा था। रैली के आयोजक ताकाकेज फुजिता ने सोमवार को कहा कि बिना किसी कानूनी आधार के राज्य में अंतिम संस्कार पर हमारे मूल्यवान टैक्स के पैसे खर्च करना एक ऐसा कार्य है जो कि संविधान को पूरी तरह से रौंद देता है। लोगों से वसूले गए टैक्‍स के पैसे का किसी अच्‍छी जगह भी इस्‍तेमाल हो सकता है।

देश-विदेश से शामिल होंगे मेहमान

बता दें कि शिंजो आबे के अंतिम संस्कार में देश-विदेश से मेहमान शामिल हुए, जिसमें देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शामिल हैं। जापान सरकार ने बताया कि मेहमानों के सुरक्षा, परिवहन और आवास के लिए लगभग 1.7 बिलियन येन (जापानी रुपया) खर्च हो रहा है। किशिदा ने विदेशी नेताओं के साथ मैराथन वार्ता की जिसे अंतिम संस्कार कूटनीति का नाम दिया गया है। किशिदा बुधवार को 40 विदेशी नेताओं से मिलने वाले थे, जिनमें से वह केवल 10 नेताओं से ही मुलाकात कर पाए। इनमें अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, वियतनामी राष्ट्रपति गुयेन जुआन फुक और फिलीपींस के उपराष्ट्रपति सारा दुतेर्ते शामिल थे। इस बीच वह भारत और ऑस्ट्रेलिया समकक्षों के साथ भी मुलाकात करेंगे और मंगलवार को एक समारोह की मेजबानी भी करेंगे। शिंजो आबे के अंतिम संस्कार में जापान के सांसदों के अलावा विदेशी गणमान्य समेत 4300 लोग शामिल हुए।

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