जिनकी नज़र में भारत नागाओं,साधुओं ऋषियों और असभ्य फकीरों का देश था, जो भारतीय संस्कृति और सभ्यता के गौरवशाली अतीत को जाने बगैर हमें सभ्य बनाने की बात करते थे । जो बोलते थे कि भारतीयों को कपड़े पहनना सहित अनेक तौर- तरीके हम सीखाने आये हैं । जो इस बात की भूल या अहंकार में चूर थे कि ब्रितानिया सूरज कभी अस्त नहीं होता है । जिन्होंने आर्यावर्त भरतखण्ड पर लगभग ढाई सौ साल हुकुमत की । जो अपने अंहकार के बल पर मुम्बई जैसी प्रेसिडेंसी को दहेज में ले लिया करते थे । जिनकी साम्राज्ञी हिन्दुस्तानियों को उपाधियां व फ़रमान बांटने का दम्भ भरती थी । जिनकी पार्टियों व समारोहों में कभी बोर्ड लगा करते थे कि यहां कुत्तों और भारतीयों का आना वर्जित है । जिनकी सेनाओं में भारतीय सिपाही व सुबेदार से ऊपर कोई भी रेकं लेने के काबिल नहीं समझे जाते थे। जिनके आगे भारतीय जनता असहाय व असमर्थ समझी जाती थी। जो भारतीय क्रांतिकारियों को कुचलकर उनका उपहास उड़ाना चाहते थे । जिनके घोड़ों की टापो के नीचे खड़ी फसल को रौंद दिया जाता था। जिनकी क्रूर गिद्ध दृष्टि में भारतीय महिलाएं व बच्चे मनोरंजन व दासत्व के पात्र मात्र हुआ करते थे। ऐसे फिरंगियों के उसी ब्रितानियां पर उन्हीं नागाओं, साधुओं, फकीरों, दासों, गरीबों व भारतीयों की वही असभ्य व हीन सन्तान ऋषि सुनक आज सिरमौर पदाधिकारी बनकर राज करने जा रही है।
जय हिन्द Long live our India

✍️सम्भावना पन्त

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