लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के खिलाफ दाखिल क्रिमिनल रिवीजन अर्जी को सत्र अदालत ने खारिज कर दिया है। इस क्रिमिनल रिवीजन अर्जी में निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी। एडीजे विनय सिंह ने निचली अदालत के आदेश को वाजिब करार दिया है।
राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाने की थी मांग
25 जुलाई, 2016 को निचली अदालत ने मोहन भागवत के खिलाफ दाखिल परिवाद को खारिज कर दिया था। निचली अदालत में यह परिवाद ब्रहमेंद्र सिंह मौर्य ने दाखिल किया था। परिवाद में मोहन भागवत के साथ ही संघ के तत्कालीन सचिव तथा बप्पा रावल की संपादक डा. राधिका लढ़ा के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग की गई थी।
कोर्ट ने इस आधार पर खारिज की अर्जी
परिवादी ब्रहमेंद्र का कहना था कि 23 जून, 2016 को उदयपुर के एक अखबार में यह समाचार प्रकाशित हुआ था कि संघ परिवार की नजर में अकबर के बाद अब सम्राट अशोक खलनायक और बौद्ध राष्ट्रद्रोही हैं। 24 जून को उसने यह लेख अपने व्हाट्सएप पर आए मैसेज में पढ़ा था। इसे पढ़कर उसकी भावनाओं को काफी धक्का लगा व समाज की भावनाएं भी आहत हुई हैं। निचली अदालत ने परिवाद को ग्राह्यता के स्तर पर ही यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि मोबाइल पर आए मैसेज से उत्पन्न अपराध इस अदालत के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।
रिवर फ्रंट घोटाला मामले में अग्रिम जमानत अर्जी खारिज
गोमती रिवर फ्रंट घोटाला मामले में वांछित ब्रांड ईगल लोंगिजन जेवी के वरिष्ठ सलाहकार बद्री श्रेष्ठा की अग्रिम जमानत अर्जी सीबीआइ की विशेष अदालत ने खारिज कर दी है। विशेष जज अजय विक्रम सिंह ने अभियुक्त के अपराध को गंभीर करार देते हुए कहा है कि मामला 285 करोड़ 69 लाख के कार्य से संबधित है।
16 फरवरी, 2021 को सीबीआइ ने इस मामले में अभियुक्त बद्री श्रेष्ठा के साथ ही सिचाई महकमे के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता रुप सिंह यादव, कनिष्ठ सहायक राज कुमार यादव तथा केके स्पन पाइप प्राइवेट लिमिटेड व इसके निदेशक हिमांशु गुप्ता व कविश गुप्ता के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। सीबीआइ ने अभियुक्तों को धोखाधड़ी, जालसाजी व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में आरोपित किया है। नौ मई, 2022 को अदालत ने आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए अभियुक्त बद्री श्रेष्ठा को समन जारी करने का आदेश दिया था।
30 नवंबर, 2017 को सीबीआइ ने इस मामले की एफआइआर दर्ज कर जांच शुरु की थी। गोमती रिवर फ्रंट के निर्माण कार्य से जुड़े इंजीनियरों पर दागी कम्पनियों को काम देने, विदेशो से महंगा सामान खरीदने, चैनलाइजेशन के कार्य में घोटाला करने, नेताओं और नौकरशाहों के विदेशी दौरे में फिजुलखर्ची करने सहित वित्तीय अनियमितता व मानक के अनुरुप कार्य नहीं करने का आरोप है।
" "" "" "" "" "