अशोक बालियान, चेयरमैन, पीजेंट वेलफ़ेयर एसो

एक अक्टूबर 2023 को मेरठ में अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद का ऐतिहासिक अधिवेशन हो रहा है।इस बार उत्तर प्रदेश अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद के अधिवेशन की मेज़बानी करेगा और इस अधिवेशन में देश दुनिया भर में जाट समाज के प्रबुद्ध लोग इस अधिवेशन में भाग लेंगे।
अंतराष्ट्रीय जाट संसद के संयोजक रामावतार पलसानियां के अनुसार एक अक्टूबर को होने वाले अंतराष्ट्रीय जाट संसद के अधिवेशन में कला, शिक्षा, साहित्य, संस्कृति, रोज़गार सृजन व गौरवशाली जाट इतिहास को जन-जन तक पहुचाने के उद्देश्य को लेकर चर्चा होगी। मेरठ अधिवेशन में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड सहित गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, मध्यप्रदेश व पश्चिम बंगाल में निवास कर रहे समाज जाट बंधु के साथ साथ देश व दुनिया भर से जाट समाज के लोग इस ऐतिहासिक अधिवेशन का हिस्सा बनेंगे।
इस अधिवेशन में जाट आरक्षण के विषय को पिछड़ा वर्ग आयोग में भेजने की मांग की जायेगी, ताकि जाट समुदाय को सुप्रीमकोर्ट के इंद्रा सहानी केस के अनुसार उचित तरीके से आरक्षण मिल सके।
अंतराष्ट्रीय जाट संसद के दूसरे संयोजक परमेश्वर कलवानियां के अनुसार जाट समाज के युवाओं सोचने समझने की जरूरत है और सुनहरे भविष्य की बुनियाद लिखना वर्तमान समय में बहुत जरूरी हो गया।
कल मेरठ में अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद के अधिवेशन से पहले अखिल भारतीय जाट महासभा द्वारा मेरठ में केंद्रीय सेवाओं में जाट आरक्षण का मुद्दा उठाया गया है। इस सम्मेलन में राष्ट्रीय लोकदल, एक किसान संगठन व अखिल भारतीय जाट महासभा के नेता शामिल हुए थे।
इस सम्मेलन ने मुख्य वक्ताओं ने भाजपा के विरोध में भाषण देते हुए कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति तय की जाएगी।
इस सम्मेलन में आने वाले 1 अक्तूबर को होने वाले अन्तर राष्ट्रीय जाट संसद को लेकर भी सवाल उठाते हुए कहा कि इस अधिवेशन के संयोजक प्रधानमंत्री से मिलते है। एक मुख्य वक्ता का यह बयान समझ से परे है कि राम राम और जय श्रीराम के अंतर को समझो। क्या जाट जय श्रीराम नहीं बोल सकते है।
मेरठ में आयोजित जाट सम्मेलन को रालोद ने भी समर्थन दिया है। रालोद नेताओं के मुताबिक चौधरी अजित सिंह के प्रयासों से जाट समाज को केंद्र में आरक्षण दिया गया था। जाटो को केंद्र में मिले आरक्षण को भाजपा सरकार ने साजिश के तहत खत्म करा दिया। जबकि बिना पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट आये ही वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस सरकार ने जाट समुदाय को ओबीसी कैटेगिरी में शामिल किया था। जबकि जाटों को आरक्षण के सवाल पर आयोग ने वर्ष 1997 में ही उन्हें पिछड़ों की सूची में शामिल करने से मना कर दिया था। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस सरकार या चौधरी अजित सिंह इससे अवगत नहीं थे,लेकिन ये सब जानबूझकर जाटों की आंख में धूल झोंक रहे थे।
इस लिए हमारी राय में अखिल भारतीय जाट महासभा द्वारा मेरठ में अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद का विरोध करना अनुचित है। इनका उद्देश्य जाटों मुख्य धारा से अलग करना है।अब जाट समुदाय आगे बढ़ रहा है और 1 अक्तूबर को मेरठ में होने वाले अंतराष्ट्रीय जाट संसद में भारी संख्या में भाग लेगा।

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