मुजफ्फरनगर। जनपद के कस्बा सिसौली का राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री से गहरा नाता रहा है। महात्मा गांधी से प्रेरणा प्राप्त कर बाबूजी के नाम से विख्यात डा०मित्रसैन मित्तल महात्मा गांधी जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सभी सत्याग्रहो में हिस्सा लिया और कई बार आजादी की लड़ाई में जेल भी गए।

फाइल फोटो-स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर मित्तसैन मित्तल

देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री आजादी से पहले मुजफ्फरनगर के कस्बा सिसौली में स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर मित्तसैन मित्तल के यहां 1920-21मे लगभग 3 माह तक रहे थे ।स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर मित्तसैन मित्तल की कोठी उन दिनों स्वतंत्रता सेनानियों के अड्डे के रूप में प्रख्यात था ।डॉक्टर मित्तसैन मित्तल ने शास्त्री जी की प्रतिभा को देखते हुए उन्हें बिरालसी के गुरुकुल मे अपनी सिफारिश पर अध्यापक लगवाया था।बाद मे श्री लाल बहादुर शास्त्री डॉक्टर मित्रसैन मित्तल से प्रभावित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए। उस समय लाल बहादुर शास्त्रीजी मात्र पांच रुपये मासिक वेतन पर नौकरी करते थे।
बिरालसी के दयानन्द गुरुकुल में शास्त्रीजी की संस्कृत शिक्षक पद पर नियुक्ति हुई थी। छात्र उनकी पढ़ाई की दक्षता, सादगी और अनुशासन के कायल थे। अध्यापन के बाद शास्त्रीजी गुरुकुल की गायों को चराने के लिए जंगल ले जाते थे। धीरे-धीरे उनकी पहचान चोटा और सोंटा वाले मास्टर जी की हो गयी थी। वह सदैव स्वदेशी, खादी और एकता की प्रेरणा देते थे। शास्त्री जी ने 1921-1923 के बीच ग्रामीण अंचल में स्वाधीनता की अलख जगायी। स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन से जुड़ने के बाद उन्होंने शिक्षक के दायित्व को छोड़ दिया।
सिसौली क्षेत्र में पहला रेडियो स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर मित्रसैन मित्तल सन 1948 में दिल्ली से लाये थे। जिसका सिसौली क्षेत्र के आम लोग उनके साथ बैठकर आनंद लेते थे।
स्वतंत्रता संग्राम में क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने वाले डॉक्टर मित्र सेन मित्तल ने राष्ट्रपिता गांधी जी की शहादत के समय जब दिल्ली में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने गए ,तब एक ट्रांजिस्टर लेकर सिसौली आए थे, जिसे सिसौली में क्षेत्र के लोगों को बड़ी घटनाओं की सूचना रेडियो द्वारा तुरंत उपलब्ध हो सके।
बताते हैं कि उस समय लोग देहाती कार्यक्रम वगैरह सुनने के लिए भी शाम के समय एकत्र हो जाया करते थे।
1964 में जब श्री लाल बहादुर शास्त्री देश के दुसरे प्रधानमंत्री बने, उन्होंने सिसौली संदेश भेजकर डॉक्टर मित्रसैन मित्तल को किसी प्रदेश का गवर्नर बनाए जाने के लिए दिल्ली आने का निमंत्रण दिया था, जिसे डॉ मित्रसैन मित्तल ने बड़ी विनम्रता के साथ अस्वीकार कर दिया था।


स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर मित्तसैन मित्तल के प्रपोत्र किसान चिंतक एवं वरिष्ठ समाजसेवी कमल मित्तल का कहना है यह हमारे लिए, हमारे क्षेत्र एवं जनपद के लिए गौरव की बात है।

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