लखनऊ। मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए होने वाली नीट परीक्षा में शामिल हुए बगैर कई छात्रों के एडमिशन आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथ कालेजों में कराने के मामले में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कड़ा रुख अपना लिया है। आयुष कालेजों में हुए फर्जी दाखिलों की सीबीआइ जांच होगी। राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टालरेंस की नीति के तहत यह निर्णय किया है।

मामले की शुरुआती पड़ताल में गड़बड़ी सामने आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की सीबीआइ जांच कराने का निर्देश दिया। इसके बाद गृह विभाग ने केंद्र सरकार को प्रकरण की सीबीआइ जांच कराए जाने संबंधी पत्र भेज दिया है। माना जा रहा है कि जल्द सीबीआइ मामले की पड़ताल अपने हाथ में लेगी, जिसके बाद फर्जी दाखिलों में खेल में शामिल रहे बड़ों तक पर कानूनी शिकंजा कसेगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर कार्यवाहक निदेशक, आयुर्वेद सेवाएं (सदस्य सचिव काउंसिलिंग मूल पद प्रिसिंपल) प्रो. डा. एसएन सिंह व प्रभारी अधिकारी शिक्षा निदेशालय, आयुर्वेद सेवाएं (मूल पद प्रोफसर राजकीय आयुर्वेद मेडिकल कालेज, लखनऊ) डा. उमाकांत यादव को निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा प्रभारी अधिकारी यूनानी निदेशालय डा. मोहम्मद वसीम तथा कार्यवाहक संयुक्त निदेशक शिक्षण होम्योपैथी निदेशालय प्रो. विजय पुष्कर के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही शुरू की गई है।

उत्तर प्रदेश के आयुष कालेजों में पिछले शैक्षिक सत्र 2021 में कुल 891 फर्जी दाखिले किए जाने का मामला सामने आया है। जिसमें निदेशक, आर्युवेदिक सेवाएं प्रो.एसएन सिंह की ओर से चार नवंबर को लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में डाटा फीडिंग का काम कर रही कंपनी अपट्रान पावरट्रानिक्स तथा उसके द्वारा नामित वेंडर कंपनी वी-3 साफ्ट साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि कुलदीप सिंह समेत अन्य अज्ञात लोगों के विरुद्ध धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में एफआइआर दर्ज कराई गई थी।

शासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल प्रकरण की जांच स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को सौंप दी थी। एसटीएफ वर्तमान में दाखिलों में हुई धांधली की जांच कर रही है। आयुर्वेद, होम्योपैथिक व यूनानी कालेजों में 891 फर्जी छात्रों के दाखिले के मामले में कंपनी संचालक व अन्य आरोपितों की भूमिका जांच के दायरे में है। कालेजों सहित निदेशालय में रखे दाखिलों से जुड़े दस्तावेज सील किए जा चुके हैं।

इस मामले में आयुर्वेद निदेशालय, होम्योपैथिक निदेशालय और यूनानी निदेशालय के अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। सीबीआइ अब उनकी भूमिका की भी गहनता से छानबीन करेगी। सबसे ज्यादा गड़बड़ी आयुर्वेद कालेजों में हुई है। ऐसे में आयुर्वेद निदेशालय में तैनात अधिकारियों व कर्मियों की मुश्किलें बढ़नी तय माना जा रहा है।

शैक्षिक सत्र 2021 में नीट यूजी की मेरिट को दरकिनार कर ऐसे कई अभ्यर्थियों को आयुष कालेजों में प्रवेश दिया गया, जिनके नाम मेरिट लिस्ट में नहीं थे। इतना ही कम मेरिट वाले छात्रों को अच्छे कालेज भी आवंटित किए गए थे। आयुर्वेद, होम्योपैथिक व यूनानी कालेजों में स्नातक पाठ्यक्रमों के दाखिलों में खूब धांधली की गई। बीएएमएस, बीयूएमएस व बीएचएमएस पाठ्यक्रमों में ऐसे लगभग 891 विद्यार्थियों को गलत ढंग से दाखिला दिया गया।

राजधानी लखनऊ स्थित राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में गलत ढंग से दाखिला पाए छह विद्यार्थियों को निलंबित भी किया जा चुका है। अब नीट यूजी 2021 की मेरिट लिस्ट और कालेजों में दाखिला पाए छात्रों की सूची के मिलान में पूरा खेल सामने आएगा।

आरोप है कि उत्तर प्रदेश के आयुष कालेजों में दाखिले के नाम पर सीटों की सौदेबाजी की गई। आयुर्वेद के सरकारी कालेज में दाखिले के लिए पांच लाख रुपये और प्राइवेट कालेज में दाखिले के लिए साढ़े तीन लाख रुपये तक लिए गए। वहीं होम्योपैथिक कालेजों में सरकारी कालेजों में प्रवेश के लिए चार लाख और प्राइवेट कालेज में दाखिले के लिए ढाई लाख रुपये वसूले गए। यूनानी कालेजों में भी ढाई लाख रुपये तक वसूले गए।

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