पिंडदान श्राद्ध आदि कर्म पुत्र द्वारा ही क्यों?
पिंडदान श्राद्ध आदि कर्म पुत्र द्वारा ही क्यों ? 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ आचार्य वसिष्ठ ने पुत्रवान् व्यक्ति की महिमा के संबंध में कहा है अपुत्रिण इत्यभिशापः। -वसिष्ठ स्मृति 17/3 अर्थात् पुत्रहीनता एक…