बसपा प्रत्याशी माजिद अली के प्रति दलित समाज में भारी नाराजगी,प्रधानमंत्री की कल्याणकारी योजनाओं के चलते दलित समाज का झुकाव भाजपा की ओर बढ़ा

प्रशांत त्यागी

सहारनपुर में बसपा द्वारा कमजोर प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतार देने से दलित समाज का मोह बसपा से भंग होता नजर आ रहा है। एकाएक दलित समाज के नेता जिस प्रकार से भाजपा में शामिल हो रहे हैं वह बसपा के लिए खतरे की घंटी है।

लोकसभा चुनाव सहारनपुर में बसपा वजूद बचाने की लड़ाई लड़ती नजर आ रही है। वजह है दलित मतों का झुकाव भाजपा की ओर होना। भाजपा ने यहां से राघव लखनपाल शर्मा को प्रत्याशी बनाया है, जिनकी दलित युवाओं में काफी अच्छी पैठ मानी जाती है। जिसके चलते बसपा सहारनपुर में वजूद की लड़ाई लड़ती नजर रही है। बसपा प्रत्याशी माजिद अली बिजनेसमैन होने के नाते इतनी राजनीतिक सूझबूझ नहीं रखते हैं। वह केवल दलित और मुस्लिम मतों के सहारे भाजपा को चुनौती देने की रणनीति पर काम कर रहे हैं, लेकिन जिस प्रकार से पीएम मोदी की विकास कार्य दलित समाज के अंदर पहुंचे हैं चाहे वह मुफ्त राशन हो, प्रधानमंत्री आवास योजना हो या गरीब कल्याण योजना, सामूहिक विवाह योजना हो अन्य योजनाओं के माध्यम से दलित समाज के लोगों का झुकाव भाजपा की ओर हुआ है। दलित समाज के लोगों का कहना है कि भाजपा के शासन में उन्हें सम्मान मिलने के साथ-साथ अच्छे कार्य भी हुए हैं जिसके आधार पर इस बार भाजपा के समर्थन में अपने मत का प्रयोग करेंगे। पूर्व विधायक जगपाल सिंह जैसे बड़े दलित नेता भाजपा में शामिल होने के बाद अब बसपा के पास यहां कुछ बचा नहीं है। सूत्रों की मान्यता बसपा के एक पूर्व विधायक भी भाजपा ही कमान के संपर्क में है। उक्त पूर्व विधायक दलित समाज के अंदर अच्छी पकड़ के लिए भी जाने जाते हैं। संभावना जताई जा रही है कि लोकसभा चुनाव से पहले उक्त बसपा के पूर्व विधायक भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं। वही जिस प्रकार से भाजपा के दलित नेताओं के आसपास घेराबंदी शुरू की है वह कहीं ना कहीं बसपा प्रत्याशी मजीद के लिए खतरे की घंटी साबित होगी। सियासी पंडितों की माने तो बसपा प्रत्याशी माजिद अली को लेकर दलित समाज में कोई उत्साह नजर नहीं आ रहा है। क्योंकि दलित समाज के अंदर बसपा प्रत्याशी की पहले भी कोई राजनीतिक पकड़ नहीं देखी गई। जिसके चलते बसपा प्रत्याशी तीसरे नंबर की लड़ाई लड़ते नजर आ रहे हैं। अब लोकसभा चुनाव में यहां देखना है कि दलित समाज कितना बसपा की ओर जाता है और बीजेपी दलित समाज को अपनी ओर खींचने में कितनी कामयाब होती हैं यहां आने वाला समय ही बताएगा।

भाजपा और इमरान मसूद के बीच होगी आमने-सामने की टक्कर

सहारनपुर की राजनीति में अच्छी खासी पकड़ रखने वाले राजनीतिज्ञों का मानना है कि सहारनपुर में इस बार कांग्रेस प्रत्याशी इमरान मसूद और भाजपा के राघव लखनपाल शर्मा के बीच सीधे कांटे की टक्कर होगी, जबकि बसपा सहारनपुर में अपने वजूद बचाने की लड़ाई लड़नी नजर आ रही है।

अंर्तकलह बसपा के लिए बड़ी मुसीबत

लोकसभा चुनाव में सहारनपुर के अंदर बसपा नेताओं के बीच आपसी गुटबाजी भी चुनाव में पिछड़ने का एक मुख्य वजह मानी जा रही है। क्योंकि बसपा का एक धड़ा प्रत्याशी माजिद अली के खिलाफ शुरू से ही उग्र है।

वर्तमान सांसद के खिलाफ भी दलित समाज में भारी नाराजगी

बसपा सांसद हाजी फजलुर रहमान के प्रति लोगों की नाराजगी इस बार बसपा को चुनाव में झेलनी पड़ सकती है, क्योंकि वह अपने सांसद रहते हुए सहारनपुर की जनता के बीच ना तो कभी नजर आए और ना ही सुख-दुख में कभी वह खड़े हुए, खासकर बात करें दलित समाज के लोगों की तो पूरे 5 साल के कार्यकाल में वह दलित समाज के लोगों के बीच तक भी नहीं गए जिससे समाज में इस बार भारी नाराजगी है।

रिपोर्ट प्रशांत त्यागी

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