आखिरकार भारतीय जनता पार्टी की सरकार में भारतीय जनता पार्टी के दो मुख्य आधार स्तंभों में से दूसरे नंबर के लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने का फैसला ले लिया गया।
इससे पहले भाजपा में नंबर एक स्थान पर रहे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई को भी भाजपा सरकार भारत रत्न दे चुकी है।
लाल कृष्ण आडवाणी उन लोगों में से हैं जो भारतीय जनता पार्टी के न केवल आधार स्तंभ रहे हैं बल्कि संघ से भी जुड़े रहे हैं।
लाल कृष्ण आडवाणी 1992 के बाबरी मस्जिद ढांचा गिराने वाले आरोपियों में भी एक रहे थे। उन्हें हिंदू हृदय सम्राट कहा जाता रहा है उनकी रथ यात्रा ने पूरे देश का माहौल बदल दिया था।
लाल कृष्ण आडवाणी का जन्म 1927 में पाकिस्तान स्थित कराची में हुआ था और प्राथमिक शिक्षा दीक्षा सिंध प्रांत में हुई। आज़ादी के बाद वे लोग भारत आ गए।
लाल कृष्ण आडवाणी यूं तो लगातार विवाद में रहे हैं परंतु इस हिंदू हृदय सम्राट ने भारत का बटवारा करने वालों में मुख्य कायदे आजम जिन्ना की मजार पर जाकर उन्हें सेकुलर व्यक्ति घोषित करके अपने आप को विवादों में खड़ा कर लिया था।
यह 2005 की बात है जब वह पाकिस्तान दौरे पर गए और वहां लाहौर से अपने जन्म स्थल कराची गए और वहां से सिंध प्रांत भी घूमने गए।
कराची में वे भावुक हो गए या भयभीत हो गए, परंतु उनकी जबान से वह शब्द निकल गए जिन्होंने उन्हें एक झटके में करोड़ों हिंदुओं की नजरों में खलनायक बना दिया।


कराची में वह कायदे आजम जिन्ना की मजार पर पहुंचे उसे सजदा किया और ऐलान किया के मोहम्मद अली जिन्ना बहुत बड़े सेकुलर व्यक्ति थे।
उनके इस बयान से हिंदुओं को गहरी ठेस लगी, संघ भी उनके खिलाफ हो गया और दबाव में उन्हें उसी साल भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा।
यूं तो लाल कृष्ण आडवाणी का भारत रत्न मिलना लगभग तय सा माना जाता है परंतु जब से मोदी 2014 से सत्ता में आए हैं तब से लाल कृष्ण आडवाणी लगातार हासिए पर ही दिखे हैं। परंतु अब उन्हें भारत का सर्वोच्च सम्मान “भारत रत्न” देकर प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने ऊपर लाल कृष्ण आडवाणी विरोधी होने का ठप्पा हटा लिया है।
वही हिंदुस्तान एक कृषि प्रधान देश है इस कृषि प्रधान देश के सबसे बड़े व्यक्तित्व पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और बेताज के बादशाह रहे किसान पुरोधा किसान जननायक महेंद्र सिंह टिकैत को भारत रत्न की उपाधि न दिए जाना देश के करोड़ों किसानों को सालता है।


बल्कि उन्हें महसूस कराता है कि उनके साथ छल किया जा रहा है। उनके आदरणीय दो बड़े किसान पुराधाओ को भारत रत्न न दिए जाने के पीछे आखिर मंशा क्या है।
मैं विकास बालियान फिल्म अभिनेता और कृषि नजर प्रधान संपादक भी यह मांग करता हूं के कृषि प्रधान देश के इन दो किसान देवताओं को भारत रत्न से सम्मानित अवश्य करना चाहिए ताकि करोड़ों किसान परिवारों को यह महसूस हो कि इस भारत देश में जो कृषि प्रधान देश है उसमें किसानों का सम्मान किया जाता है।

विकास बालियान वरिष्ठ पत्रकार एवं हरियाणवी फ़िल्म अभिनेता

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