जज्बा जुनून वह भी खून देने का ऐसा की बना दिया रिकॉर्ड

मुज़फ्फरनगर ही नही बल्कि यूपी में 200 बार रक्तदान जिसमे 72sdp डोनेशन जिसे जंबू पैक और 128 रक्तदान करने इतिहास रचा

24 वर्ष पहले कारगिल युद्ध में घायल हुए जवानों के लिए पहली बार लखनऊ के आर्मी हॉस्पिटल में पहला रक्तदान किया था

छह वर्ष की उम्र में मां के ऑपरेशन में रक्त की आवश्यकता पड़ने पर पापा को चक्कर काटते देखा था तभी पैदा हुआ जज्बा आज भी बरकरार

जनपद मुज़फ्फरनगर के बेगरजपुर में क्रिस्टल बाला जी के ऐथेनॉल प्लांट के वर्कर के रूप में कार्यरत दीपक कुमार पंघाल ने स्वयं 200 बार रक्तदान करने के साथ एक बहुत बडे स्तर पर रक्तदान कराने के कार्य की मुहिम को चलाकर मील का पत्थर स्थापित किया है। रक्तदान के लिए मिशन वन्देमातरम द ट्रस्ट की स्थापना करने वाले दीपक कुमार पंघाल की
छह वर्ष की उम्र में उनकी माता का ऑपरेशन हुआ तो माता के लिए o- ब्लड ग्रुप लेने के लिए पिताजी को चक्कर काटते देखा तो तभी से मन मे एक जनून पैदा कर लिया कि वह ऐसा कार्य करेगा जिससे किसी की मां, बेटी, बहन, भाई पिता को परेशान ना होना पड़े। जज्बा जनून लिए रक्तदान करने की शुरुआत वर्ष 2000 में 16 वर्ष 10 महीने की उम्र कारगिल युद्ध के घायल जवानों के लिए लखनऊ के आर्मी कमांड हॉस्पिटल में लगे रक्तदान शिविर में रक्तदान देने से हुई हालांकि डॉक्टरों ने उम्र 18 वर्ष से कम होने के कारण ब्लड लेने से मना कर दिया। माता पिता की सहमति लेने को कहा तो कैम्प में आये पिताजी से जिद कर हस्ताक्षर करवाकर पहला रक्तदान किया और उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नही देखा 24 वर्ष के सफर में दीपक ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड के साथ उत्तरप्रदेश के दर्जनों जनपदों में रक्तदान किया। रक्तदान के लिए कई संस्थाओं के नाम से कार्य कर रक्तदान शिविर लगवाए। 16 मई 2019 मे मिशन वन्देमातरम द ट्रस्ट के नाम से संस्था का रजिस्ट्रेशन करवाया। रक्तदान के लिए लोगो का जागरूक करना रक्तदान के लिये उत्तम स्वास्थ्य के लिये थेलीसीमीया को रोकने के लिये और ब्लड बैंकों को वॉलेनट्री बनाने का प्रयास किया। दीपक पंघाल बताते है कि रक्तदान करने व कराने के लिए हर सम्भव कोशिश में जुटे हुए है।

लेकिन शुरुआत से आज तक समाज को हम ब्लड बनाने की मशीन दिखाई देते है वैसे लोग रक्त देना नही चाहते और हमसे उम्मीदें करते है की हम उनके रिश्तेदार दोस्त परिचित को बिना रक्त दिये ही मदद करते रहे। बहुत सारे लोगो ने रक्तदान करने से रोकना चाहा, कई लोग तो आज भी पागल कहते है। और सबसे बड़ी परेशानी बहुत सारे लोग इस निःशुल्क निःस्वार्थ रक्तदान सेवा को भी राजनीति कहते है। इन तमाम आरोपो, रुकावटों के बावजूद स्वंय रक्तदान करने व कराना उनके जीवन का हिस्सा बन गया। स्वंय रक्तदान करने के साथ संस्था की और से लगभग 100 रक्तदान शिविरों के आयोजन के साथ वोलेंट्री डोनेशन करवा लगभग 15000 यूनिट रक्तदान करवा चुके है। उन्होंने बताया कि संस्था के माध्यम से अब तक 13000 लोगो की रक्त की मदद भी की गई है

फोटो-        दीपक कुमार पंघाल

हमारा एक स्लोगन और संदेश है।
“पहले परिवार, रिश्तेदार, दोस्त, यार, उसके बाद रक्त की ज़रूरत पड़ने पर हम तैयार”

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