गुर्जर युवा महासभा ने शहीद धन सिंह गुर्जर के क्रांति दिवस पर उन्हें याद कर उनके जीवन पर डाला प्रकाश

अनुज त्यागी

जनपद मुजफ्फरनगर में युवा गुर्जर महासभा द्वारा शहीद कोतवाल धनसिंह गुर्जर जी के क्रांति दिवस में उपलक्ष में कार्यक्रम आयोजित किया है।

जिसके कार्यक्रम अध्यक्ष महंत कन्हैया गिरी जी ,मुख्य वक्ता डॉक्टर कलाम सिंह, विशिष्ट अतिथि नरेंद्र पवार साधु गुर्जर कार्यक्रम संचालन चौधरी रविंदर सिंह गुर्जर (जिला अध्यक्ष युवा गुर्जर महासभा) द्वारा की गई ।

मुख्य वक्ता द्वारा शहीद कोतवाल धन सिंह गुर्जर जी के विषय पर अपनी प्रतिक्रिया दी उन्होने बताया कि भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व हैं।

उन्होंने 1857 की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपनी वीरता और साहस से लोगों को प्रेरित किया। 10 मई 1857 को, मेरठ में वीर धनसिंह कोतवाल जी ने विद्रोह की शुरुआत की थी। उनके नेतृत्व में गुर्जर समुदाय के लोगों ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह किया। यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रारंभिक घटना मानी जाती है।

धनसिंह कोतवाल जी ने अपनी वीरता और बहादुरी से लोगों को जोड़ा और उन्हें एक साथ लड़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी और लोगों को स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से कीरत सिंह गुर्जर अंजेश गुर्जर राजवीर सिंह गुर्जर बृजपाल सिंह विनोद कुमार डॉ नकुल राजकुमार मनोज नेता धर्मवीर प्रधान रामफल दरोगा ईश्वर सिंह ताजपुर सुरेंद्र चैयरमेन भूपेंद्र चौधरी कार्तिक निर्भय सिंह पवार वंश शुभम गुर्जर पोरस गुर्जर मनजीत गुर्जर आदि गणमान्य लोग रहे.

 शहीद घनसिंह गुर्जर का इतिहास

धन सिंह गुर्जर, जिन्हें धन सिंह कोतवाल के नाम से भी जाना जाता है, 1857 क्रांति के प्रमुख नेता थे। उनका जन्म 1820 में मेरठ के पास पांचाली गाँव में हुआ था। 10 मई 1857 को, धन सिंह ने मेरठ में क्रांति की शुरुआत की। उन्होंने क्रांतिकारियों का नेतृत्व किया और ब्रिटिश सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी,

वे मेरठ में कोतवाली (पुलिस स्टेशन) के प्रमुख थे, जिसके कारण उन्हें “धन सिंह कोतवाल” के नाम से जाना जाता था।

उन्होंने दिल्ली पर कब्जा करने के लिए क्रांतिकारियों की सेना का नेतृत्व किया। 9 जून 1857 को, धन सिंह ने दिल्ली के लाल किले पर भारतीय झंडा फहराया।

वीरता और बलिदान: धन सिंह ने क्रांति के दौरान वीरता और साहस का प्रदर्शन किया। उन्होंने कई लड़ाइयों में ब्रिटिश सेना को हराया। 4 जुलाई 1857 को, धन सिंह को ब्रिटिश सेना ने गिरफ्तार कर लिया। उन्हें 23 जुलाई 1857 को फांसी दे दी गई।

"
""
""
""
""
"

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *