नई दिल्ली: आज मार्शल अर्जन सिंह की 5वीं पुण्य तिथि है, उनका जन्म 15 अप्रैल 1919 को लायलपुर (अब पाकिस्तान में फैसलाबाद) में हुआ था। सिर्फ 19 वर्ष की आयु में, उनका चयन आरएएफ कॉलेज, क्रैनवेल में ट्रेनिंग के लिए हुआ था। जिसके बाद दिसंबर 1939 वो रॉयल इंडियन एयर फोर्स में पायलट के तौर पर कमीशन हुए। अर्जन सिंह को उनके उत्कृष्ट नेतृत्व, महान कौशल और साहस के लिए द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान विशिष्ट फ्लाइंग क्रॉस (डीएफसी) से सम्मानित किया गया था।

आजादी के पहले जश्न में मिला अनूठा सम्मान

15 अगस्त 1947 को जब भारत आजाद हुआ, तब अर्जन सिंह को भारतीय वायुसेना के सौ से अधिक विमानों के फ्लाई-पास्ट का नेतृत्व करने का अनूठा सम्मान दिया गया। 44 वर्ष की आयु में अर्जन सिंह ने 01 अगस्त 1964 को एयर मार्शल की रैंक पर भारतीय वायुसेनाध्यक्ष का पद संभाला। विश्व में बहुत कम वायुसेनाध्यक्ष होंगे जिन्होंने 40 साल की उम्र में या पद संभाला होगा और 45 साल की उम्र में रिटायर हो गए हों।

वायुसेना से रिटायर होकर निभाईं कई जिम्मेदारियां

मार्शल अर्जन सिंह को रिटायरमेंट के बाद पहले स्विट्जरलैंड में भारत का राजदूत बनाया गया। जिसके बाद उन्हें कीनिया में भारत के उच्चायुक्त के तौर पर नियुक्त किया गया। वो अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य भी रहे और दिल्ली के उप राज्यपाल की जिम्मेदारी भी संभाली। भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1965 की जंग के दौरान अर्जन सिंह को उनके नेतृत्व के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। अर्जन सिंह भारतीय वायु सेना के पहले एयर चीफ मार्शल बने। जुलाई 1969 में सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने भारतीय वायुसेना की बेहतरी और कल्याण के लिए अत्यधिक योगदान देना जारी रखा।

मार्शल अर्जन सिंह के जीवन की विशेष उप्लब्धियां

  • महज 20 साल की उम्र में रॉयल इंडियन एयर फोर्स को पायलट के तौर पर ज्वाइन किया
  • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान विशिष्ट फ्लाइंग क्रॉस (डीएफसी) से किए गए सम्मानित
  • महज 40 साल की उम्र में संभाला वायुसेनाध्यक्ष का पद
  • स्विट्जरलैंड में भारत के राजदूत के तौर पर भी निभाई जिम्मेदारी
  • 1965 की जंग में कुशल नेतृत्व के लिए मिला पद्म विभूषण सम्मान
  • भारतीय वायु सेना के पहले एयर चीफ मार्शल
  • साल 2002 में वायु सेना के मार्शल के पद से किए गए सम्मानित
  • 2002 में उन्हें वायु सेना के मार्शल के पद से सम्मानित किया
  • सम्मान में वायु सेना स्टेशन पानागढ़ का नाम बदलकर वायु सेना स्टेशन अर्जन सिंह किया गया

वायु सेना के पहले फाइव स्टार रैंक अधिकारी

अर्जन सिंह की देश के प्रति उनकी सेवाओं को मान्यता देते हुए, भारत सरकार ने जनवरी 2002 में उन्हें वायु सेना के मार्शल के पद से सम्मानित किया। वायुसेना में मार्शल का वही स्थान होता है जो थल सेना में फील्ड मार्शल का होता है। अर्जन सिंह भारतीय वायु सेना के पहले ‘फाइव स्टार’ रैंक के अधिकारी बने। भारतीय वायुसेना में उनके योगदान को याद करने के लिए, वायु सेना स्टेशन पानागढ़ का नाम बदलकर 2016 में वायु सेना स्टेशन अर्जन सिंह कर दिया गया।

गोल्फ के लिए दीवानगी

अर्जन सिंह के जीवन में दो चीजों का महत्व सबसे ऊपर था। पहला हवाई जहाज उसके बाद उनका सबसे बड़ा जुनून था गोल्फ। बताया जाता है कि वो अपने जीवन के आखिरी दिनों तक गोल्फ खेलते रहे। लेकिन जब एक उम्र पर आकर उनका शरीर कमजोर हो गया और वो चलने में असमर्थ होने लगे। तब भी वो दिल्ली गोल्फ क्लब में अपनी व्हील चेयर पर बैठ कर लोगों को गोल्फ खेलते हुए देखा करते थे।

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