(लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर विशेष)

मात्र पांच रुपये के मासिक वेतन पर चरथावल के ग्राम बिरालसी के शिक्षक रहे शास्त्री जी —

मुज़फ़्फ़रनगर

चरथावल——मात्र पांच रूपये के मासिक वेतन पर ग्राम बिरालसी के शिक्षक व जय जवान व जय किसान का नारा देने वाले लाल बहादुर शास्त्री ने एकता और देशभक्ति का जो पाठ पढ़ाया था उसे भुला दिया गया पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जीवन की बहुमूल्य यादे जिले की माटी से जुडी हुई है उन्माद की साजिश से गाँव देहात के सद्भाव की जो क्षति हुई है ऐसे में उनके आदर्शो एवं श्रेष्ठ शिक्षा का याद आना स्वभाविक है ।

मात्र 5 रूपये के मासिक वेतन पर बिरालसी के महर्षि गुरुकुल में उनकी शिक्षक पद पर नियुक्ति हुई संस्कृत पढ़ाने की इच्छा उन्हें खींच लाई थी तब ब्रह्मचारी(छात्र)उनकी पढ़ाई की दक्षता,सादगी और अनुशासन के कायल हो गए थे 55 ब्रह्मचारी उस समय गुरुकुल में थे अध्यापन के बाद वह गुरुकुल की गाय चराने जंगल में सोंटा लेकर जाते थे धीरे धीरे उनकी पहचान “चोटा और सोंटा वाले मास्टर जी की हो गयी थी वह सदैव स्वदेशी,खादी और एकता की प्रेरणा देते थे “जय जवान,जय किसान का नारा देने वाले शास्त्री ने 1921-1923 के बीच अपने व्यक्तित्व की गरीमा से ग्रामीण आँचल की स्वाधीनता की अलख जगाई थी स्वतन्त्रता संग्राम आंदोलन से जुड़ने के बाद उन्होंने शिक्षक के दायित्व को छोड़ दिया मालवीय और लाला लाजपत राय द्वारा लोक सेवक संघ कार्यकर्ता के रूप में उन्हें जिले की जिम्मेदारी सौपी गयी बेमिसाल शास्त्री के आदर्शो को नेता भूल गए है लेकिन आज के दौर में शिक्षक से पीएम के पद तक पहुंचे शास्त्री जी एकता का सन्देश आज बिखर गया है तथा लोगो की एकता अब टूटने लगी है।

1905 में पड़ी गुरुकुल की नींव—–

चरथावल—स्वामी दर्शानानंद सरस्वती ने सन् 1905 में बिरालसी में गुरुकुल की नींव रखी थी काशी विधापीठ में दर्शनशास्त्र में हाईस्कूल परीक्षा उत्तीर्ण कर शास्त्री बिरालसी पढ़ाने आये थे बंटवारे के बाद झेलम स्थित गुरुकुल के ब्रह्मचारियों को भी यहां पढ़ने के लिए भेजा गया था हालांकि 1951 में अपेक्षित मदद न मिलने के कारण गुरुकुल बन्द हो गया था वर्तमान में इसी नाम से यहां इंटर कॉलिज संचालित है वर्तमान में यहां पर गुरूकुल के नाम से गुरुकुल इंटर कॉलिज चल रहा है जिसमे शास्त्री का जन्म दिवस सादगी के साथ मनाया है 5 रूपये के मासिक वेतन पर बिरालसी गुरुकल के शिक्षक रहे शास्त्री जी ने लोगो को एकता का पाठ पढ़ाया था बिरालसी में शिक्षक रहते उन्होंने लोगो को जो एकता पर बल देने को कहा था लेकिन आज के दौर में लोगो ने एकता के पाठ को भुला दिया है और लोग एकता को छोड़ चुके है ।

चोटा और सोंटा वाले मास्टर के नाम से जाने जाते थे शास्त्री-

बिरालसी गुरुकुल के बाद लाल बहादुर शास्त्री अध्यापन के बाद वह गुरुकुल की गाय चराने जंगल में सोंटा लेकर जाते थे जिस कारण उनकी धीरे धीरे पहचान “चोटा और सोंटा वाले मास्टर जी की हो गयी थी ओर लोग उन्हें चोटा और सोंटा वाले मास्टर कहते थे ।

“बेमिसाल शास्त्री के आदर्शो को नेता भूल गए है लेकिन आज के दौर में शिक्षक से पीएम के पद तक पहुंचे शास्त्री जी एकता का सन्देश आज बिखर गया है तथा लोगो की एकता अब टूटने लगी है”
रवि पुण्डीर,ग्रामवासी

” दयानंद गुरुकुल इंटर बिरालसी से शास्त्री जी की यादे जुड़ी है देशभक्त लाल बहादुर शास्त्री ने बिरालसी बतौर शिक्षक अपनी अमिट छाप छोड़ी थी
मास्टर लोकेश पुण्डीर
ग्राम प्रधान बिरालसी

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