राम की पार्टी में आखिर रावण कैसे हावी हो गए?
सपा और बसपा से आए नेता भाजपा के लिए बने सिरदर्द
हार्ड कोर कैडर की अनदेखी पार्टी को पड़ ना जाए भारी
प्रशांत त्यागी, संवाददाता। सहारनपुर
1980 के दशक में भारतीय राजनीति में जनसंघ के परिवेश से निकली भाजपा आज भारत के लगभग 20 से ज्यादा राज्य और केंद्र की सत्ता पर काबिज है। इसकी वजह है पार्टी के हार्ड कोर कैडर कार्यकर्ता जो पार्टी की बूथ से लेकर सभी चुनाव प्रबंधन प्रणाली को कुशल रूप से संभालते हैं। लेकिन 2014 के बाद केंद्र और 2017 से उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज सत्तारूढ़ भाजपा के अंदर आज कोर कैडर कार्यकर्ता कहां है? क्योंकि जिस प्रकार से अन्य राजनीतिक दलों से आए नेताओं को भाजपा में महत्वपूर्ण पदों पर जिम्मेदारी दी गई यहां तक की विधायक, ब्लॉक प्रमुख और मंत्री तक के पद दिए गए आज वही लोग भाजपा के लिए नासूर बनते जा रहे हैं। पार्टी की रीति और नीति से अनभिज्ञ उक्त नेता भाजपा के लिए परेशानी का बड़ा सबक बन रहे हैं। उदाहरण के रूप में रविवार को थाना नागल क्षेत्र के गांव डंघेडा में अभी हाल ही में ही भाजपा में शामिल हुए अनुसूचित मोर्चा के मंडल अध्यक्ष व गांव के ग्राम प्रधान द्वारा जिस प्रकार से खुलेआम एक व्यक्ति की महज इसलिए हत्या कर दी थी उसके द्वारा राशन कम मिलने पर विरोध किया गया था हालांकि पुलिस ने मुकदमा तो दर्ज किया। उक्त नेता पूर्व में सपा, और बसपा किस सरकारों की शासन के दौरान उनके साथ नजर आए। आज स्वयं को भाजपा नेता घोषित कर लिया। लेकिन जिस प्रकार से यह घटना तो एक उदाहरण मात्र है इस प्रकार की उत्तर प्रदेश में कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं जिनकी वजह से सत्तारूढ़ भाजपा को विपक्ष के हमलों का शिकार होना पड़ा यहां तक कि कई मामलों में भाजपा की किरकिरी भी हुई। अगर भाजपा हाईकमान अपने कैडर व जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं को उक्त पदों पर जिम्मेदारी देता तो शायद आज ऐसी स्थिति उत्पन्न न होती। सियासी पंडितों की माने तो भाजपा हाईकमान द्वारा जिस प्रकार से कुछ समय से बाहरी लोगों को ज्यादा वरीयता देते हुए पार्टी के कार्यकर्ताओं व कोर कैडर को एक तरीके से अलग-थलग कर दिया, उसका परिणाम भाजपा को 2024 के चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। समय रहते भाजपा को अपने जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं को आगे करने और पार्टी के अंदर सब कुछ ठीक है या नहीं इस पर ध्यान देने की अति आवश्यकता है!
….. तो कल सपा -बसपा के थे आज भाजपा के बन बैठे ठेकेदार
अब बात करते हैं व्यवस्था और प्रशासन की जिस प्रकार से भाजपा के शासन में सपा से जुड़े पूर्व के ही ठेकेदारों का बोलबाला है या यह कहा जाए कि प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालयों में भी विपक्ष के नेताओं की ज्यादा घुसपैठ है इस बात से भी कोई गुरेज नहीं है। सपा शासनकाल में जो लोग शासन व प्रशासन व्यवस्था पर हावी थे आज वही भाजपा में बैठकर उसी प्रणाली को उसी नीति को जोर शोर से अमलीजामा पहना रहे हैं। जबकि भाजपा का असली कार्यकर्ता या तो घर बैठा है या अपने व्यापार में लग गया है। यह भाजपा की बात नहीं है उत्तर प्रदेश या देश की सत्ता में जो भी राजनीतिक दल आता है तो एक धड़ा ऐसा भी होता है जो सत्ता के अनुरूप चलता है और अपने व्यापार व व्यक्तिगत हितों को साधने का काम करता है।
सरकारी कार्यालय से सरकार पर भ्रष्टाचार हावी
नाम ना छपाने की शर्त पर कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं व नेताओं ने बताया कि भाजपा के अंदर भी अब बसपा व सपा की तरह ही शासन के दौरान होने वाली क्रियाएं दिखने लगी है। उनकी माने तो पार्टी के अगर किसी भी नेता के पास अपने कार्यों के लिए जाते हैं तो उन्हें आश्वासन और दिलासा के अलावा कुछ नहीं मिलता। बताया की सभी सरकारी कार्यालयों से मानों सरकार तो गायब है, अधिकारी बेलगाम है, रिश्वतखोरी का बोलबाला है। शिकायत के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं होती यही उन्हें दर्द अंदर से परेशान करता है। विधायक एवं मंत्रियों से जुड़े चंद लोग ही अधिकारियों से अपने काम करा लेते हैं अन्य लोग परेशान रहते हैं।
रिपोर्ट प्रशांत त्यागी
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