देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री व पौड़ी सांसद तीरथ सिंह रावत ने भ्रष्टाचार को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इसके लिए सीधे अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को ही निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के समय में 20 प्रतिशत तक कमीशन लिया जाता था। अलग राज्य बनने के बाद यह शून्य हो जाना चाहिए था, लेकिन यहां कमीशन की शुरुआत ही 20 प्रतिशत से हुई है।

इंटरनेट मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा बयान

प्रदेश में भ्रष्टाचार को लेकर लगातार ही सवाल उठते रहे हैं। इस कड़ी में सरकार ने कई अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई भी की है, लेकिन मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। इसी कड़ी में इंटरनेट मीडिया में पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का एक बयान तेजी से प्रचारित हो रहा है।

जब उत्तर प्रदेश में थे, तब कमीशनखोरी होती थी

इसमें वह कह रहे हैं कि उन्हें यह कहने में कोई हिचक नहीं कि जब उत्तर प्रदेश में थे, तब कमीशनखोरी होती थी। जब अलग राज्य बना तब कमीशनखोरी को शून्य पर आना चाहिए था। उत्तर प्रदेश में 20 प्रतिशत तक कमीशन की बात सामने आती थी। चाहे जल संस्थान हो, जल निगम हो, सड़क का काम हो या फिर अन्य कार्य। जब अलग राज्य बना तो उत्तर प्रदेश में 20 प्रतिशत कमीशन था तो यहां अधिकारी वहीं से शुरू हो गए।

जनप्रतिनिधि और अधिकारी हैं दोनों ही बराबर के दोषी

उन्होंने कहा कि यह जो मानसिकता है, उसे ठीक करने की जरूरत है। जब तक यह भाव नहीं आएगा कि यह मेरा प्रदेश है, मेरा परिवार है, तब तक भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होगा। इस भ्रष्टाचार के लिए लिए अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को भी सोचना होगा। इसके लिए अधिकारी को तो दंडित किया जा रहा है, लेकिन इसके पीछे कौन है, वे हैं जनप्रतिनिधि। इसमें जनप्रतिनिधि और अधिकारी दोनों ही बराबर के दोषी हैं।

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