जनपद की धरोहरजनपद

जनपद मुज़फ्फरनगर के खरड गाँव का वन क्षेत्र वन सम्पदा की धरोहर है और यहाँ पर स्थित शिव मंदिर व तालाब का ऐतिहासिक महत्व है। और क्षेत्र की जनता की आस्था का प्रतीक भी है। मंदिर परिसर में प्राचीन लिपि में लिखा हुआ एक शिलापट (पत्थर) भी लगा है। लोककथा के अनुसार बरनावा में लाक्षागृह से बचने के बाद अज्ञात वास के दौरान पांडव इस क्षेत्र में आकर रूके थे। भगवान शिव की आराधना के लिए पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण कर अद्भुत पंचमुखी शिवलिंग स्थापित किया था। खरड गाँव के इस वन क्षेत्र में कदम्ब के वृक्ष भी है।
गाँव खरड़ निवासी स्व ओमवीर सिंह मलिक की बेटी दीप्ति मलिक ने अपने हुनर से गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम कर लिया है। दीप्ति मलिक बचपन से अपने स्कूल व कॉलिज के कार्यक्रम में गाना गाया करती थी। अपने शिक्षक व मित्रों से प्रेरित होकर वह अपना कैरियर बनाने के लिए वर्ष 2012 में मुम्बई चली गई थी।
एक अंग्रेज यात्री मिस्टर आर्चर ने अपनी अपर इंडिया यात्रा का वर्णन Tours In Upper India And Himalaya Mountains Vol 1 by Archer S 1833 पुस्तक में लिखते हुए बताया है कि जब वह शामली से दस मील की दूरी पर खरड गाँव से भी गुजरे थे, तब उसके मार्ग के बाईं ओर घना जंगल था और उस क्षेत्र में काफी भूमि बंजर थी। जैसे-जैसे हम दक्षिण की ओर बढ़ रहे थे तो मौसम काफ़ी गर्म होता जा रहा था। इस क्षेत्र में के हिंडन नदी बरसात में काफी विशालता और वेग वाली नदी बहती है और इस नदी के दाहिने किनारे पर सुंदर दृश्यावली थी व नदी के किनारे ऊँचे थे।
मिस्टर आर्चर ने उस समय शामली के इस क्षेत्र में गरीबी देखी थी और आम तौर पर बारिश में बाढ़ आती है। यहां-वहां, जहां अनुकूल स्थान मौजूद होता था, वहां गेहूं उगाया जाता था और वह कुछ स्थानों पर लगभग पांच फीट ऊंचा होता था, तब भी जब यह पूरी तरह से पका हुआ नहीं होता था, और यह इतना मोटा होता था कि कोई भी व्यक्ति इसके बीच से गुजर नहीं पाता था।
मिस्टर आर्चर की यात्रा के समय इस क्षेत्र में गन्ने की फसल भी कटाई भी हो रही थी। सिंचाई के लिए पानी फ़ारसी जल-चक्र के माध्यम से उठाया जाता था। यह विधि दक्षिण और अन्य भागों की तुलना में दिल्ली के उत्तर और पश्चिम में अधिक प्रचलित है। मिस्टर आर्चर लिखते है कि सिचाई के इस साधन में लगे पहियों के निर्माण से आविष्कारक और निर्माता को कोई श्रेय नहीं मिला होगा, ये प्रयास पहले कभी नहीं देखे गए थे।
इसके बाद मिस्टर आर्चर बेगम सोमरू के राज करने वाले क्षेत्र में प्रवेश कर वहां का वर्णन करते हुए लिखते है कि उसने बेगम सोमरू के शिविर में मिठाइयाँ और जलाऊ लकड़ी का आनंद लिया था। बेगम सोमरू से पहले ही मुगल साम्राज्य अपने पतन की ओर था। और अंग्रेजों का बड़े भूभाग पर नियंत्रण हो चुका था। भरतपुर के राजा जवाहर सिंह के यहां सेनापति वाल्टर रेंनार्ड उर्फ समरू ने बेगम सोमरू (वास्तविक नाम फरजाना) से शादी की थी।
मुगल शासक शाह आलम द्वीतीय ने बेगम सोमरू के पति वॉल्टर रेंनार्ड को यूपी के सरधना का जागीरदार बना दिया था। वॉल्टर के साथ फरजाना मेरठ के सरधना आ गईं और अब वह बेगम समरू हो चुकी थीं। लेकिन वर्ष 1778 में वॉल्टर की अचानक मौत हो गई। इसी दौरान शाह आलम द्वितीय और तकरीबन चार हजार सैनिकों की रजामंदी के बाद बेगम समरू को सरधना का जागीरदार बना दिया गया था। वर्ष 1836 में बेगम समरू की मृत्यु हो गयी थी।

लेख अशोक बालियान, चेयरमैन, पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन

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