वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले में 14 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। शीर्ष अदालत ने मुस्लिम पक्ष को मस्जिद परिसर के अंदर शौच की प्रथा की इजाजत देने की अपील के संबंध में एक याचिका दाखिल करने की इजाजत दे सकता है।

आपको बता दें कि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि हिंदू पक्ष जिस वस्तु को ‘शिवलिंग’ बता रहा है, वह ‘वजूखाना’ यानि पानी के फव्वारे का हिस्सा था, जहां नमाजी नमाज अदा करने से पहले स्नान करते हैं। नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद क्षेत्र में खोजे गए ‘शिवलिंग’ की सुरक्षा के लिए अपने पहले के आदेश को आगे बढ़ाया।

ASI ने नहीं दायर किया जवाब

पिछली सुनवाई में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) से अदालत ने पूछा था कि क्या शिवलिंग को क्षति पहुंचाए बिना कार्बन डेटिंग परीक्षण किया जा सकता है? याची वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि इस जांच से शिवलिंग की उम्र का पता चल सकेगा पर अभी तक ASI ने उच्च न्यायालय में कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया है। इसपर अदालत ने फटकार लगाते हुए जवाब दायर करने का ASI को अखिरी मौका दिया था।प्रमोटेड कंटेंट

क्या है विवाद

वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में वजुखाने के पास मिले एक पत्थर को लेकर हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि ये एक शिवलिंग है, ऐसे में इस परिसर को मंदिर माना जाए। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि ये वजूखाना के अंदर का एक फव्वारा है। हिन्दू पक्ष मस्जिद में पूजा करने के लिए इजाजत की मांंग कर रहा है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि मस्जिद में दशकों से नमाज पढ़ी जा रही है और इसमें कोई तब्दीली नहीं की जानी चाहिए।

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