देहरादून : उत्‍तराखंड के मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी की अध्‍यक्षता में बुधवार को सचिवालय में कैबिनेट बैठक हुई। बैठक में कुल 26 प्रस्‍ताव आए। बैठक में उत्तराखंड लॉजिस्टिक नीति प्रस्ताव पास किया गया। वहीं कहा गया कि विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को 143 विशेष शिक्षक दिए जाएंगे।

बैठक में इन फैसलों पर लगी मुहर

  • दुर्घटना राहत निधि में 1 लाख की धनराशि बढ़ाकर 2 लाख की गई
  • आवास विभाग में लैंड यूज फीस में बढ़ाई गई
  • पेट्रोल पंप में भी कॉमर्शियल रेट लागू होंगे
  • उत्तराखंड न्यायिक सेवा नियमावली में संशोधन हुआ
  • राज्य सरकार कृषी विभाग में बागवानी मिशन के अंतर्गत सब्सिडी में 50 फीसदी राशि देगी
  • शिक्षा विभाग में 60 दिन से अधिक अनुपस्थित रहने वाले बच्चों के नियम में संशोधन किया गया है। अब बच्‍चा 30 दिन में ही आउट ऑफ स्कूल माना जायेगा
  • महिला आरक्षण पर अध्यादेश के लिए सीएम को अधिकृत किया गया
  • औद्योगिक सेवा निति का प्रख्यापन किया गया
  • उत्तराखंड की अपनी लॉजेस्टिक नीति लागू की गई
  • व्यापारियों का दुर्घटना बीमा 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख किया गया
  • हरिद्वार यूनिवर्सिटी को कैबिनेट की मिली मंजूरी
  • महंगाई भत्ता ओर बोनस के लिए मंत्रिमंडल ने सीएम को अधिकृत किया
  • उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी जायेगी
  • केदारनाथ में मास्टर प्लान के अंतर्गत आने वाले प्रभवितों को मिलेगा लाभ,
  • राजश्व पुलिस से रेगुलर पुलिस तैनात करने के मामले में पहले चरण में 6 पुलिस स्टेशन और 20 पुलिस चौकी बनेंगी
  • जहां पर्यटन ज्यादा बढ़ा है वह क्षेत्र रेगुलर पुलिस में आएगा

राजस्व क्षेत्रों में सिविल पुलिस की तैनाती करने की कवायद शुरू

वहीं वनन्तरा रिर्साट प्रकरण के बाद प्रदेश में अब राजस्व क्षेत्रों में सिविल पुलिस की तैनाती करने की कवायद शुरू हो गई है। इस कड़ी में शासन ने पुलिस मुख्यालय से प्राथमिकता के आधार पर पुलिस क्षेत्र में शामिल किए जाने वाले राजस्व क्षेत्रों के प्रस्ताव देने को कहा है, जिस पर मुख्यालय ने प्रस्ताव देने शुरू भी कर दिए हैं।

अब इन सभी प्रस्तावों को संकलित कर कैबिनेट के सम्मुख लाया जाएगा। कैबिनेट की अनुमति के बाद राजस्व क्षेत्रों में पुलिस की तैनाती कर दी जाएगी। प्रदेश के राजस्व क्षेत्रों में अंग्रेजों के समय से पटवारी पुलिस यानी राजस्व पुलिस व्यवस्था चली आ रही है।

पर्वतीय क्षेत्रों में पहले सिविल पुलिस की आवश्यकता नहीं थी 

दरअसल, प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में पहले सिविल पुलिस की आवश्यकता थी भी नहीं। अमूमन यहां कभी भी बड़े स्तर के आपराधिक मामले सामने नहीं आए। जमीन व आपसी झगड़ों का समाधान गांव के पटवारी आसानी से कर लेते थे। ग्रामीण भी इसी व्यवस्था में खुश थे। प्रदेश में पहले पुलिस की पारंपरिक छवि अच्छी नहीं थी।

यही कारण रहा कि राज्य गठन के बाद जब भी पर्वतीय क्षेत्रों में थाने व चौकियां खोलने का प्रयास होता तो स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर जनता इसका विरोध करती। इसी कारण किसी सरकार ने इस व्यवस्था को बदलने की जरूरत न समझी और न ही रुचि दिखाई।

अब प्रदेश में पर्यटन व्यवसाय तेजी से बढ़ रहा है। इसके साथ ही यहां अपराध भी बढ़े हैं। वनन्तरा रिसार्ट प्रकरण के बाद राजस्व क्षेत्रों में सिविल पुलिस की तैनाती की आवश्यकता महसूस हुई।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेश के राजस्व क्षेत्रों को चरणबद्ध तरीके से सिविल पुलिस के दायरे में लिया जाएगा। इसके अंतर्गत राजस्व पुलिस के दायरे में आने वाले 7500 गांवों में से पहले चरण में 1500 गांवों को लिया जाएगा। ये गांव वे होंगे, जहां पर्यटन की गतिविधियां बढ़ी हैं। अब इसी कड़ी में शासन ने पुलिस मुख्यालय से प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं।

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