अनुज त्यागी/राजसत्ता पोस्ट
मुज़फ्फरनगर में दलित समाज में भाजपा व सपा की सेंधमारी, पेशोपेश में बसपा
बसपा प्रत्याशी के प्रति दलित समाज में भारी नाराजगी,बाहरी प्रत्याशी होने पर बसपा का कोर वोटर असमंजस की स्थिति में
प्रधानमंत्री की कल्याणकारी योजनाओं के चलते दलित समाज का झुकाव भाजपा की ओर बढ़ा
मुजफ्फरनगर में बसपा द्वारा कमजोर प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतार देने से दलित समाज का मोह बसपा से भंग होता नजर आ रहा है। एकाएक दलित समाज के नेता जिस प्रकार से चुनाव से दूरी बना रहे हैं वह बसपा के लिए खतरे की घंटी है।
लोकसभा चुनाव मुज़फ्फरनगर में बसपा वजूद बचाने की लड़ाई लड़ती नजर आ रही है। वजह है दलित मतों का झुकाव भाजपा की ओर होना। भाजपा ने यहां से दो बार के सांसद केन्द्रीय राज्यमंत्री डॉक्टर संजीव बालियान को प्रत्याशी बनाया है वही सपा ने पूर्व सांसद हरेन्द्र मलिक पर दांव खेला है जिनकी दलित युवाओं में काफी अच्छी पैठ मानी जाती है। जिसके चलते बसपा मुज़फ्फरनगर में वजूद की लड़ाई लड़ती नजर रही है। बसपा प्रत्याशी के बिजनेसमैन होने के नाते इतनी राजनीतिक सूझबूझ नहीं रखते हैं। वह केवल दलित और प्रजापति मतों के सहारे भाजपा ओर सपा को चुनौती देने की रणनीति पर काम कर रहे हैं,
हाथी की रफ्तार हुई धीमी
लेकिन जिस प्रकार से पीएम मोदी की विकास कार्य दलित समाज के अंदर पहुंचे हैं चाहे वह मुफ्त राशन हो, प्रधानमंत्री आवास योजना हो या गरीब कल्याण योजना, सामूहिक विवाह योजना हो अन्य योजनाओं के माध्यम से दलित समाज के लोगों का झुकाव भाजपा की ओर हुआ है।
वहीं पिछले चार दिन से यूपी सरकार में स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री धर्मवीर सिंह प्रजापति मुजफ्फरनगर में डेरा डाले हैं और अपने समाज के लोगों के बीच जा रहे हैं
बसपा का मूल वोटर बसपा प्रत्याशी के बाहरी होने के कारण असमंजस की स्थिति में है क्योंकि चुनाव जीतने के बाद वह अपने सांसद को कहां ढूंढेगे जिसके कारण बसपा का वोट बैंक भाजपा या सपा पर ट्रांसफर हो सकता है जिससे कि बसपा प्रत्याशी की रहा मुश्किल होती नजर आ रही है वही बसपा प्रत्याशी चुनाव प्रचार में भी अभी से पिछड़े नजर आ रहे हैं बसपा के जनपद के नेता भी चुनाव से दूरी बनाते नजर आ रहे हैं जिसके कारण बसपा प्रत्याशी तीसरे नंबर की दौड़ पर फिलहाल दिख रहे हैं।।
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