अशोक बालियान

हमारे लेखन-कार्य में अनेक विषय रहते है। इस पोस्ट में हम अपने परिवार से जुडी पुनर्जन्म की कहानी का विश्लेषण कर रहे है। इस घटना को लिखने में बहेड़ी गावं के अनिल त्यागी (सदस्य जिला पंचायत) ने हमारी मदद की है। जब जीवात्मा एक शरीर का त्याग करके किसी दूसरे शरीर में जाती है तो इस बार-बार जन्म लेने की क्रिया को पुनर्जन्म कहते हैं। पुनर्जन्म के सिद्धांत पर सदियों से बहस चलती रही है।
30 मई 1958 के समाचारपत्र में समाचार आया था कि ग्राम रसूलपुर जाटान (जिला मुजफ्फरनगर) में जसवीर सिंह नामक चार वर्ष का बालक है, जो अपने पुनर्जन्म की बात बताता है, और कहता है कि मुझे मेरे गाँव बहेड़ी ले चलो। वह अपना नाम शोभाराम त्यागी बताता था।
गांव रसूलपुर जाटान में चौधरी गिरधारी सिंह, जिनके पिता श्री राजाराम थे, के घर वर्ष 1952 एक पुत्र पैदा हुआ था। जिसका नाम उन्होंने जसवीर सिंह रखा था। जब यह बालक चार वर्ष का हुआ, तो चेचक से उसकी मृत्यु हो गई और उसी समय जनपद मुज़फ्फरनगर के बहेड़ी गावं में विवाहित शोभाराम त्यागी पुत्र शंकर लाल त्यागी नामक एक 22-23 वर्ष के युवा की मृत्यु बारात में जाते वक़्त तांगे से गिरकर हो गई थी, जिसकी आत्मा जसवीर सिंह में आ जाती है और वह पुन: जीवित हो जाता है।
जसवीर सिंह जब पुन:जीवित हो जाता है, तो उसने बताया कि वह जनपद मुज़फ्फरनगर के गांव बहेड़ी के (निकट रोहना मिल) शोभाराम त्यागी है और उसके पिता का नाम शंकरलाल है और एक दुर्घटना में मेरी मृत्यु हो गई थी। इस घटना के समय मेरे पिताजी स्व: चौधरी महिपाल सिंह परिवार के कर्ताधर्ता थे और उन्होंने यह घटना हमें बताई थी।
एक बार जसवीर की मां राजकली उसे लेकर अपने मायके जा रही थी। रास्ते में ही वह जगह पड़ी जहां शोभाराम त्यागी की गर्दन पर रथ का पहिया चढ़ गया था। वहीं से शोभाराम के गांव बहेड़ी का रास्ता भी जाता था। जसवीर ने अपनी माता राजकली को वह जगह दिखाई, जहां रथ का पहिया शोभाराम की गर्दन पर चढ़ा था। जसवीर सिंह ने बहेड़ी का रास्ता दिखाकर कहा कि यह रास्ता मेरे गांव की ओर जाता है। लेकिन राजकली इसे बच्चे की बात समझ उसे लेकर अपने मायके चली गई। बालक जसवीर सिंह अपने पिछले जन्म की सारी बातें बता रहा।
एक दिन बहेड़ी का रहने वाला जगन्नाथ प्रसाद किसी काम के लिए रसूलपुर जाटान आया था। जसवीर ने उसे पहचान लिया और जगन्नाथ प्रसाद को आवाज लगाई। इसके बाद जगन्नाथ प्रसाद ने उससे सारी बात पूछी और बहेड़ी लौटकर शोभाराम त्यागी के परिवार वालों का यह बात बताई। यह सुनकर शोभाराम त्यागी के पिता, चाचा और ताऊ सब रसूलपुर जाटान पहुंचे।
बालक जसवीर ने एक-एक कर सबको पहचान लिया। सबने उससे शोभाराम त्यागी के जीवन जुडी सभी जानकारियां पूछी थी, जिसे जसवीर बताता गया था। इसके बाद सभी उसे लेकर उस जगह पहुंचे, जहां रथ का पहिया शोभाराम की गर्दन पर चढ़ा था। जसवीर सिंह वहां ठिठक कर रुका और बहेड़ी वाले रास्ते पर चल पड़ा। बहेड़ी पहुंचकर उसने गांव के सभी बड़े-बुजुर्गों को पहचाना और सबसे राम-राम की।
इस घटना से लगता है कि पुनर्जन्म की कई अवस्थाओं में व्यक्ति को अपने पूर्व जन्म की कई बातें याद रहती हैं। पिछले जन्म के संस्मरण और यादों को व्यक्त करने वाले कई उदाहरण हमारे सामने पत्र पत्रिकाओं में, टेलिविजन चैनलों में और अखबरों में आए दिन देखने को मिलते हैं।
पुनर्जन्म एक ऐसा विषय है जिसके बारे में स्पष्ट रुप से कुछ नहीं कह सकते क्योंकि विज्ञान और धर्म दोनों ही पुनर्जन्म की अवधारणा को मानता तो हैं, लेकिन उसके ऐसे तथ्य प्रस्तुत नहीं हो पाए हैं जिनके बारे में पूर्ण रुप से व्यक्ति संतुष्ट हो जाए।
हालांकि पुनर्जन्म की यादों को लेकर ऐसे कई केस पूरी दुनिया में सामने आए हैं कि लोगों को अपने पिछले जन्म से जुड़ी हुए बहुत सी घटनाएं याद होती है। बच्चों के बारे में भी कहा जाता है कि जब तक बच्चे छोटे रहते हैं उनको अपना पिछला जन्म याद रहता है। बड़े होने के साथ-साथ वो अपनी पिछले जन्म की यादों को भूलने लगते हैं।
पुनर्जन्म की बातें आज भी रहस्य हैं। लेकिन पुनर्जन्म का प्रत्यक्ष प्रमाण पूर्वजन्म की स्मुति युक्त बालकों का जन्म लेना है। दूसरी तरफ पुनर्जन्म के विपक्ष में भी अनेक तर्क एवं प्रक्ष खड़े हैं। जिनका उत्तर खोजना जरूरी है। इस पोस्ट में प्रथम चित्र हमारे चाचा जसवीर सिंह का व दूसरा चित्र ग्राम बहेडी के शोभाराम त्यागी के परिवार का है।जसवीर सिंह के छोटे भाई जसवंत सिंह वर्तमान में ग्राम रसूलपुर जाटान के प्रधान है।

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