नई दिल्ली: शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को अपना अंतिम निर्णय देगा। जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की खंडपीठ इस मामले में 13 अक्टूबर को अपना फैसला सुनाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले, हिजाब मामले में कर्नाटक र्हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। इस मामले में 21 वकीलों के बीच दस दिनों तक बहस चली थी।

विभिन्न याचिकाओं के जरिए पेश की गई दलीलें

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ड्रेस कोड वाले कर्नाटक सरकार के संदर्भ में पीएफआइ से उसके ताल्लुक का कोई जिक्र नहीं था। सर्वोच्च अदालत में दायर विभिन्न याचिकाओं में से एक में बताया गया है कि सरकार और प्रशासन छात्राओं को अपने धर्मों का पालन करने देने में भेदभाव बरतते हैं। इससे कानून व्यवस्था बिगड़ने की परिस्थितियां पैदा होती हैं। एक अन्य याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट ने अपने आदेश में छात्र-छात्राओं को समानता के आधार पर क समान निर्धारित वेशभूषा पहननी चाहिए।

जनवरी में भड़का था हिजाब विवाद

गौरतलब है कि, कर्नाटक र्हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की पीठ ने माना था कि शिक्षण संस्थानों में ड्रेस का निर्धारण एक उचित प्रतिबंध है। जिस पर छात्र आपत्ति नहीं कर सकते और हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं को खारिज कर दिया था। कर्नाटक में हिजाब विवाद इस साल जनवरी में तब भड़क उठा था जब उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेज ने कथित तौर पर हिजाब पहनकर छह लड़कियों को प्रवेश करने से रोक दिया गया था। इसके बाद प्रवेश नहीं दिए जाने को लेकर छात्राएं कॉलेज के बाहर धरने पर बैठ गईं थीं।

हिजाब के विरोध में छात्रों ने पहने भगवा स्कार्फ

हिजाब को लेकर छात्राओं के विरोध के बाद उडुपी के कई कॉलेजों के छात्र भगवा स्कार्फ पहनकर क्लास अटेंड करने पहुंचे। यह विरोध राज्य के अन्य हिस्सों में भी फैल गया और कर्नाटक में कई स्थानों पर विरोध और आंदोलन हुए। नतीजतन, कर्नाटक सरकार ने कहा कि सभी छात्रों को ड्रेस का पालन करना चाहिए और एक विशेषज्ञ समिति के निर्णय तक हिजाब और भगवा स्कार्फ दोनों पर प्रतिबंध लगा दिया। जिसके बाद 5 फरवरी को, प्री-यूनिवर्सिटी शिक्षा बोर्ड ने एक सर्कुलर जारी किया जिसमें कहा गया था कि छात्र केवल स्कूल प्रशासन द्वारा अनुमोदित ड्रेस ही पहन सकते हैं और कॉलेजों में किसी अन्य धार्मिक पोशाक की अनुमति नहीं होगी।

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