बैंगलोर में प्रधानमंत्री मोदी 6 फरवरी को इंडिया एनर्जी वीक की शुरुआत करेंगे. इस कार्यक्रम में ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने वाली विश्वभर की अधिकांश संस्थाएं भाग ले रही हैं. दुनिया भर के 650 से ज्यादा एग्जिबिटर्स इसमें आ रहे हैं. इस बार इंडिया एनर्जी वीक में ग्रीन एनर्जी पर ज्यादा जोर होगा. साथ ही इसमें हाइड्रोजन फ्यूल और सोलर जैसी ग्रीन एनर्जी पर जोर होगा. प्रधानमंत्री मोदी इसमें 4 बड़ी घोषणाएं भी करेंगे.
इस दिन प्रधानमंत्री सबसे बड़ी घोषणा ये कर सकते हैं कि प्लास्टिक की बेकार पड़ी बोतल का उपयोग से इंडियन ऑयल कपड़े बनाने की शुरुआत करने जा रहा है. उसका सैंपल भी देश और दुनिया को उस दिन दिखाया जाएगा. इन कपड़ों को बनाने के लिए प्लास्टिक की बेकार पड़ी बोतलों को पहले धोया और सुखाया जाता है. उसके बाद उनको गर्म करके स्पिन किया जाता है, जिससे वो रीसाइकल्ड पॉलिस्टर का रूप ले लेते हैं. बाद में उनका उपयोग टीशर्ट, पैंट्स, और अन्य कपड़े बनाने में किया जा रहा है.
28 पानी की बोतल से एक सेट शर्ट-पैंट तैयार
फिलहाल इन कपड़ों का उपयोग सेना के जवानों के लिए, पेट्रोल पंप के कर्मचारी, गैस एजेंसी के कर्मचारी आदि के लिए किया जाएगा. एक सेट शर्ट/टीशर्ट और पैंट को तैयार करने में आपके द्वारा उपयोग कर फेंके गए 28 पानी की बोतल का उपयोग हो रहा है. इंडियन ऑयल ने फिलहाल 1 करोड़ यूज्ड पेट बॉतल का उपयोग कर कपड़े बनाने का लक्ष्य रखा है. इसको बनाने में 59 प्रतिशत कम एनर्जी और 79 प्रतिशत कम कार्बन फुटप्रिंट छूटेंगे.
इनडोर सोलर कुकिंग सिस्टम
इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी बैंगलोर के इंडिया एनर्जी वीक में दूसरी महत्वपूर्ण घोषणा रसोई में उपयोग होने वाले चूल्हे को लेकर करेंगे. पीएम इंडिया एनर्जी वीक कार्यक्रम से इंडियन ऑयल के इनडोर सोलर कुकिंग सिस्टम की सौगात भी देशवासियों को देंगे.
3 करोड़ परिवारों तक पहुंचाने का लक्ष्य
इस इनडोर सोलर कुकिंग सिस्टम के ट्विन कूकटोप मॉडल बर्नर को देश को समर्पित करने से पैसे के साथ-साथ कार्बन निकास में भी कमी आएगी. इसका ट्रायल पिछले 1 साल से किया जा रहा था. ये चूल्हा कमजोर और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए वरदान साबित होगा. केंद्र सरकार ने अगले 3 सालों में यानी वर्ष 2025-26 तक इसे 3 करोड़ परिवारों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. इस चूल्हे से बॉयलिंग, फ्राई और बेकिंग तीनों ही कामों को बहुत आसानी से किया जा सकता है. इस अतिआधुनिक सोलर कुकर से एक परिवार 1 लाख रुपए तक की बचत करेगा. साथ ही रसोई से निकलने वाले करीब 50 मिलियन टन तक कार्बन उत्सर्जन को भी रोकने में सक्षम होगा.
20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग (E20) की शुरुआत
तीसरी महत्वपूर्ण घोषणा पीएम मोदी E20 फ्यूल की शुरुआत को लेकर करेंगे. दरअसल E20 फ्यूल नॉर्मल फ्यूल में 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग करके बनाया गया है. अब तक देश में 10 प्रतिशत ब्लेंडिंग के साथ पेट्रोलियम प्रोडक्ट बाजार उपलब्ध होते हैं लेकिन 6 फरवरी से इसको 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाकर पेट्रोलियम प्रोडक्ट बाजार में बेचे जाएंगे. फिलहाल देश के चुनिंदा 84 पेट्रोल पंप आउटलेट पर ये E20 प्रोडक्ट उपलब्ध होंगे.
देश का करीब 53,894 करोड़ रुपया बचा
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल तक 10 प्रतिशत ब्लेंडिंग तक पहुंचने से विगत 8 वर्ष में इथेनॉल सप्लाई करने वालों को 81,796 करोड़ मिले हैं. इससे देश का करीब 53,894 करोड़ रुपया विदेश जाने से बच गया. इससे सीधे किसानों को 49,078 करोड़ रुपया मिला. खास बात ये रही कि इससे कार्बन उत्सर्जन में भी भारी कमी आई और देश ने 318 लाख मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन कम किए. 2014 में जब केंद्र में मोदी सरकार आई थी तब करीब 1.53 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग रेशियो था जो विगत 8 सालों में 2022 तक 10 प्रतिशत ब्लेंडिंग तक पहुंच चुका है. एक आंकड़े के मुताबिक अगले 2 साल में इथेनॉल करीब 550 करोड़ लीटर की खपत देश में होगी, जिसकी पूर्ति के लिए केंद्र सरकार अमेरिका, कनाडा जैसे उत्पादक देशों से इथेनॉल एलायंस की जाएगी.
हाइड्रोजन समेत ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा
E20 ब्लेंडिंग के साथ ही लोगों में ग्रीन एनर्जी के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए पीएम मोदी ग्रीन मोबिलिटी रैली को भी हरी झंडी दिखाएंगे. इस रैली में शामिल होने वाली गाड़ियों में E20, हाइड्रोजन फ्यूल, फ्लेक्स फ्यूल, सीएनजी की गाड़ियों को शामिल किया जाएगा. इस रैली में वैसी ही 2 पहिया, 3 पहिया और 4 व्हीलर गाड़ियां शामिल होंगी जो E20, E85, हाइड्रोजन से चलाई जाती हैं. करीब 23 किलोमीटर तक के इस रोड शो में कॉलेज के छात्रों को शामिल किया जायेगा, जो एक तरह से ग्रीन एनर्जी के लिए ब्रांड एंबेसडर का काम करेंगे.
क्लीन और ग्रीन एनर्जी के उत्पादन
दरअसल देश में विकास गति और लोगों की आवश्यकता के मद्देनजर विभिन्न तरह के ऊर्जा की दरकार बढ़ने वाली ही है. ऐसे में पारंपरिक स्त्रोत से ज्यादा गैरपरंपरागत ऊर्जा के स्त्रोतों की ओर बढ़ना तो जरूरी है ही, इसके साथ ही क्लीन एनर्जी और ग्रीन एनर्जी के उत्पादन से कार्बन फुटप्रिंट में भी कमी आएगी और वायुमंडल के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के पहल को बल मिलेगा.
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