” हेलो, एसपी बस्ती से बात हो रही है?
जी सर।
मैं पंचानन राय बोल रहा हूँ।
जयहिंद सर।
आपकी थाने की पुलिस शिक्षक और आतंकवादी में अन्तर नहीं कर पा रही क्या?
सर, सर।
आपके दरोगा ने जो एक शिक्षक के साथ दुर्व्यवहार किया है वह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने पूरे शिक्षकों की गरिमा को आघात पहुंचाने का काम किया है।
सर, सर।
शाम तक उस दरोगा को सस्पेंड करिये और खुद जाकर उस शिक्षक से आपके दरोगा की गलती के लिए क्षमा मांगिए अन्यथा कल से पूरे राज्य में प्रदर्शन शुरू करा दूँगा।
सर, सर। सर मैं करता हूँ।
हाँ ठीक है। ”

यह व्यक्तव्य आजमगढ़ की माटी के लाल पंचानन राय के थे। पंचानन राय का जन्म आजमगढ़ जनपद के सगड़ी तहसील के भुवना ग्रामसभा में हुआ था।

पंचानन राय का स्वभाव और उनके कुशल व्यक्तित्व का कोई सानी नही था। 1966 में टाउन इंटर कॉलेज में अध्यापक नियुक्त हुए थे। उन्होंने देखा शिक्षकों से मानदेय पर हस्ताक्षर कराया जा रहा था। उन्हें दिया कुछ और जा रहा था और हस्ताक्षर कुछ और हो रहा था। उन्होंने तुरंत प्रबंधक के विरुद्ध बगावत कर दी। नतीजा, उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। इसके तुरंत बाद 1967 में वह मालटारी इंटर कॉलेज में प्रवक्ता पद पर नियुक्त हुए लेकिन प्रबंधकीय तंत्र से विरोध जारी रहा। उन्होंने शिक्षकों से एकजुट होने का एलान किया, 1968 में आजमगढ़ में सामूहिक रूप से उन्होंने आंदोलन किया था।

वर्ष 1968 में गांधी इंटर कॉलेज मालटारी में शाखा मंत्री से उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के एक सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में संगठन में कार्य करना प्रारंभ किया। सन 1971 में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के जिला मंत्री निर्वाचित हुए और शिक्षकों की पीड़ा के लिए वह निरंतर संघर्ष करते गए। सन 1977 में इनके तेवर और संघर्षों को देखते हुए उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष आर एन ठकुराई ने इन्हें प्रदेश मंत्री निर्वाचित किया।

इनकी लोकप्रियता से प्रभावित होकर कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे कल्पनाथ राय ने पंचानन राय को आजमगढ़ जनपद की सगड़ी विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया एवं पंचानन राय जी ने उन पर जताए गये भरोसे पर खरा उतरते हुए जीत दर्ज कराई। माध्यमिक शिक्षक संघ के 1982 में प्रादेशीय महामंत्री बनाए गए। प्रादेशिक महामंत्री होने के तुरंत बाद इन्होंने संघर्ष को और तेज किया।

तत्कालीन उत्तर प्रदेश की सरकार शिक्षकों के लिए एक आचार संहिता का प्रस्ताव लाने का प्रयास कर कर ही रही थी। उन्होंने उसका विरोध किया जिसके कारण 1985 में कांग्रेस पार्टी ने टिकट नहीं दिया।

◆ वह वही शिक्षक थे जिनके समर्थन में सरेआम मुख्यमंत्री का पुतला शिक्षकों ने फूंक दिया था।

◆ उन्होंने शिक्षकों को प्रबन्ध तंत्र के शोषण से मुक्त कराया।

◆ उन्होंने शिक्षकों के मान सम्मान की लड़ाई लड़ी।

◆ उन्होंने शिक्षकों एवं वंचितों की आवाज को सदन में बुलन्द किया।

◆ उन्होंने विधायक निधि का बंदरबांट नहीं होने दिया।

◆ उन्होंने अपने राजनैतिक जीवन को परिवार एवं रिश्तेदारों के हस्तक्षेप से मुक्त रखा।

◆ उन्होंने चाटुकारों के बजाय धरातल पर कार्य करने वालों को सदैव मान सम्मान दिया।

 

सगड़ी विधानसभा क्षेत्र

आजमगढ़ जिले की सगड़ी विधानसभा से सबसे पहले 1952 में सोशलिस्ट पार्टी के स्वामी सत्यानंद ने चुनाव जीता था। वहीं उसके बाद 1953 में सोशलिस्ट पार्टी के विश्राम राय ने चुनाव जीता। 1957 मे इंद्र भूषण गुप्ता निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते और पहली बार 1962 में कांग्रेस ने इंद्रासन सिंह के रूप में सगड़ी से चुनाव जीता था। 1967 में मुंशी नर्वदेश्वर लाल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते इसके बाद 1969 में रामकुमार सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते। 1974 में राम सुंदर पांडे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते और 1977 में रामजन्म यादव जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते।

1980 में पंचानन राय कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते लेकिन 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उनको प्रत्याशी नहीं बनाया तो कांग्रेस को हार का मुँह देखना पड़ा और 1985 में रामजन्म यादव दलित मजदूर किसान पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते। 1989 में कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी पंचानन राय को बनाया और उन्होंने अपनी जीत दर्ज कराते हुए यह सीट कांग्रेस की झोली में डाला। वह सगड़ी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के अबतक के आखिरी विधायक रहे, 1989 के बाद कांग्रेस वहां से अपनी जीत नहीं दर्ज करा पाई है।

वह 1980,1989 में सगड़ी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर विधायक निर्वाचित हुए थे।

गोरखपुर फैजाबाद शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र

पंचानन राय 1996 में गोरखपुर फैजाबाद शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से भारी मतों से शिक्षक विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद 2002 में पुन: शिक्षक विधायक घोषित हुए। इनके संघर्षों की बदौलत अध्यापकों के वेतन का भुगतान सुनिश्चित हुआ एवं प्रबंधकों द्वारा किया जा रहा शोषण पूर्ण रूप से समाप्त हुआ, शिक्षक आज भी पंचानन को अपना मसीहा मानता है।

पांच सितंबर 1998 को सरकार द्वारा इन्हें गिरफ्तार कर विभिन्न धाराओं में जेल भेजने की साजिश की जा रही थी। इसकी भनक लगते ही शिक्षकों ने खुलेआम दिन में ही तत्कालीन मुख्यमंत्री का पुतला फूंका एवं सरकार के विरुद्ध नारा लगाते हुए दिन में ही 19 शिक्षक साथियों ने एक साथ गिरफ्तारी दी।

शिक्षकों को शून्य से शिखर तक की उपलब्धियां अपने संघर्षों की बदौलत अर्जित कराने वाले शिक्षक मसीहा स्वर्गीय पंचानन का शिक्षा जगत में योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उनका संघर्षों भरा जीवन हर किसी के लिए सदा प्रेरणास्रोत रहेगा। 5 सितंबर 2007 को एक सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गई। शिक्षक दिवस के दिन ही उनके निधन ने शिक्षा महकमे समेत पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया था।

दिव्येन्दु राय
स्वतंत्र टिप्पणीकार

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