कौशाम्बी/प्रशान्त कुमार मिश्रा

श्रीमद् भागवत कथा के आठवें दिन भगवान् श्री कृष्ण की बाल लीला, भाव विभोर हुए श्रोता

गोवर्धन पूजा का अद्भुत एवम मर्मस्पर्शी प्रसंग पूज्य महाराज

चरवा में चल रही श्रीमद् भगवत कथा में हजारों की संख्या में भक्तों ने सुनी कथा, भंडारे का चखा प्रसाद

 

कौशाम्बी।

श्रीबरम बाबा स्थान , चरवा पर चल रहे दिव्य भागवत ज्ञान यज्ञ महोत्सव में कथा व्यास परमपूज्य स्वामी श्री राजेन्द्र दास देवाचार्य जी महराज ने आठवें दिन की कथा में भगवान् की माखन चोरी एवम बाल -लीला , गोवर्धन पूजा का बड़ा ही अद्भुत, अविस्मरणीय, मनोरम, भावविभोर कर देने वाला वर्णन अपनी दिव्य वाणी की स्निग्ध पीयूष धारा से कर श्रद्धालुओं को कृष्ण लीला का रसपान कराया।

 

महराज जी ने उपाख्यान वर्णित कर भगवान् पर विश्वास दृढ होने का लाभ बताया ।

कथा को सुनकर श्रोता अत्यन्त आह्लादित हुये l

व्यास मंच से परमपूज्य श्री राजेन्द्र दास देवाचार्य जी महराज ने भगवान् का बधाई गान भी पद के माध्यम से किया ।

महाराज द्वारा श्रीकृष्ण बाल लीला, माखन चोरी एवं गोवर्धन पूजा के प्रसंग का कथा में वर्णन किया। उन्होंने कहा कि कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलाधार वर्षा से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे।

उन्होंने कहा कि कृष्ण ने बृजवासियों को मूसलाधार बारिश से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएं उसकी ओट में सुखपूर्वक रहे।

भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा। इसके बाद साध्वी जी ने श्रीकृष्ण भगवान के माखन चोरी की कथा सुनाई। कथा सुनकर प्रभु भक्त भाव विभोर हो गए। श्री कृष्ण की माखन चोरी की लीला का वर्णन करते हुए कहा कि जब श्रीकृष्ण भगवान पहली बार घर से बाहर निकले तो उनकी बृज से बाहर मित्र मंडली बन गई। सभी मित्र मिलकर रोजाना माखन चोरी करने जाते थे। सब बैठकर पहले योजना बनाते कि किस गोपी के घर माखन की चोरी करनी है।

 

श्रीकृष्ण माखन लेकर बाहर आ जाते और सभी मित्रों के साथ बांटकर खाते थे। भगवान बोले कि जिसके यहां चोरी की हो उसके द्वार पर बैठकर माखन खाने में आनंद आता है। माखन चोरी की लीला का बखान करते हुए उन्होंने भगवान कृष्ण के बाल रूप का सुंदर वर्णन किया। उन्होंने बताया कि भगवान कृष्ण बचपन में नटखट थे। भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं से जुड़ी कथा को सुनने व अधिकाधिक संख्या में कथा में भागीदार बनने के लिए भक्तों में भारी उत्साह दिखाई पड़ रहा है।

आज उपस्थित अतिथि गणों में –

बाहुबली पीठाधीश्वर महाराज राजस्थान और अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक श्री अनिरुद्धाचार्य महाराज वृंदावन उपस्थित रहे।

भक्तगणों, श्रृद्धालुओं के जयघोष से सारा वातावरण भक्तिमय हो गया।

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