राष्ट्रप्रथम–पार्थसारथि थपलियाल

कुछ लोगों की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से राजनीतिक असहमति हो सकती है। लोकतंत्र में असहमति भी एक आवश्यक तत्व है। लेकिन लोकतंत्र के नाम पर असहमति और द्वेष में अंतर भी होना चाहिए। भारत में जिन्हें लोकतंत्र खतरे में नज़र आता है, वे अपने अपराधों के कारण जनता को भ्रमित करते हैं। भारत में लोकतांत्रिक स्थापित सरकार भारत सरकार होती है। वह सरकार राष्ट्र हित मे जिन नीतियों को आगे लाये नागरिकों को उसका विवेचन के बाद राष्ट्रप्रथम के विचार के अनुसार समर्थन करना चाहिए। विपक्ष का दायित्व है कि लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए सरकार पर नियंत्रण रखे। पारिवारिक या निजी स्वार्थों की रक्षा के लिए राजनीति को दूषित न करे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा की फोटोज चर्चित हो गई। 2-3 -2024 भारत के केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप की यात्रा पर गए थे।

वहाँ से उन्होंने समुद्रतट पर विचरण करते हुए अपने कुछ फोटो सोशल मीडिया में साझा किए। उन्होंने बताया कि लक्षद्वीप पर्यटन के लिए एक बेहतरीन जगह है। इसे वेडिंग डिस्टिनेशन बनाया जाना चाहिए। बहुत कम समय मे यह X (ट्वीट) दुनिया मे फैल गया। सोशल मीडिया में प्रधानमंत्री की फोटोज ट्रेंड हो गई। लोगों ने लक्षद्वीप को अपना टूरिस्ट डिस्टिनेशन बताना शुरू कर दिया। तीर तो वहाँ लगा जहाँ के लिए अलक्षित छोड़ा गया था। मालदीव की राजधानी में वहां के कुछ मंत्रियों ने तीव्र प्रतिक्रियाएं मीडिया में दी। मालदीव की मंत्री मरियम शिउना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत पर अपमानजनक टिप्पणी की। इसी तरह दो मंत्री मालशा शरीफ और अब्दुल्ला महज़ूम ने भी भारत पर अभद्र टिप्पणियां की। क्रिया की प्रतिक्रिया होने लगी। बायकॉट मालदीव हैशटैग होने लगा। जब तक मालदीव से कोई सरकारी सूचना आती उससे पहले हज़ारों भारतीय पर्यटकों ने अपनी मालदीव यात्रा निरस्त कर दी और लोग पर्यटन के लिए लक्षद्वीप जाने की योजना बनाने लगे। हो गया न! वोकल फ़ॉर लोकल। हींग लगे न फिटकरी रंग चोखा।
आखिर यह सब क्यों होने लगा? दरअसल भारत के दक्षिण पश्चिम में दिल्ली से लगभग 2800 किमी की दूरी पर लगभग 200 टापुओं का देश है मालदीवज। प्राचीन काल मे चोल राजाओं के अधीन था। बौद्धकाल में यहाँ बौद्ध धर्म विकसित हुआ। तेरहवीं शताब्दी में यहाँ इस्लाम ने प्रवेश किया। वर्तमान में मालदीव की जनसंख्या 5 लाख 21 हज़ार 21 है। कुल जनसंख्या का 98 प्रतिशत भाग मुस्लिम है। 1887 में मालदीव को अंग्रेजों ने अपने अधीन कर लिया था। 1965 में अंग्रेजों ने मालदीव को स्वतंत्र कर दिया।1968 से मालदीव में लोकतांत्रिक सरकारें बननी शुरू हो गई। यहाँ की अधिकतर सरकारें भारत की मुखापेक्षी रही। गतवर्ष हुए चुनावों में प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव चुनावों में विजयी रही। इसके नेता मोहम्मद मुइज्जु ने नवंबर 2023 में मालदीव के राष्ट्रपति का पद भार ग्रहण किया। मुइज्जु चीन समर्थक है। उसने अपना चुनाव “इंडिया आउट” स्लोगन देकर लड़ा था। पदभार ग्रहण करने के बाद उसने मालदीव में नियुक्त भारतीय सैनिकों को हटाने का आदेश जारी किया था।
मालदीव को भारत शुरू से ही सहायता देता आया है। इसमें आर्थिक, सैन्य और प्रशासनिक सहायता भी शामिल है। 2014 में जब मालदीव में पानी का संकट पैदा हुआ तो भारत ने जहाजों से मालदीव को पानी भेजा। कोरोना काल में भारत ने कोविड की दवाइयां भी मालदीव को दी। मालदीव में सैन्य संकट में भी भारत ने मालदीव को सहायता की थी। मालदीव में एक महत्वपूर्ण ब्रिज प्रोजेक्ट में भारत सहायता कर रहा है। ऐसे समय में तुर्की और चीन मुइज्जु को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। मुइज्जु वर्तमान में चीन की यात्रा पर है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लक्षद्वीप की यात्रा के कुछ फोटो सोशल मीडिया में साझा किए, इनमें मालदीव का कोई संदर्भ नही था। भारतीय नागरिकों ने प्रधानमंत्री मोदी के X (ट्वीट) को इतना फैला दिया कि मालदीव की सरकार में तीन मंत्रियों ने भारत के खिलाफ विषवमन कर दिया। उन्हें नही मालूम कि ये बदला हुआ भारत है। सरकार से पहले आम जनता ने बायकॉट मालदीव हैशटैग चर्चित (Viral) कर दिया। क्रिकेटर भारतरत्न सचिन तेंदुलकर, बॉलीवुड स्टार जॉन इब्राहिम, श्रद्धा कपूर, अक्षय कुमार आदि कलाकारों की भाषा वह काम कर गई जो राजनयिक स्तर पर बहुत समय लेती। 7 जनवरी शाम तक मालदीव के तीन मंत्रियों को पद से निलंबित किया जा चुका था। भारत के जिन पर्यटकों ने मालदीव जाने के लिए अपनी बुकिंग करवा रखी थी उनमें से 28000 लोगों ने होटलों में अपनी बुकिंग कैंसिल करवा दी। एक तरफ गलवान घाटी में विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या वाले चीन को भारत अपनी पहचान करवा चुका है, दूसरी ओर 5 लाख की जनसंख्या वाला डूबने वाला टापू वाला (समुद्र से साढ़े 4 फीट ऊंचा) मालदीव भारत से पंगा ले रहा है। इसे कहते हैं छाज (सूप) तो बोले बोले छलनी (अनेक छेदों वाली) भी बोले… बदलते भारत की जनशक्ति ने वह कर दिखाया जो पहले कभी नही हुआ। दुष्टों के लिए यह उपाय है- उनके पीठ पर लात मारने की बजाय पेट पर लात मारो। ताकि सनद रहे।

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