ह्यूस्टन। भारतीय-अमेरिकी सिख पुलिस अधिकारी संदीप धालीवाल के हत्यारे को मौत की सजा सुनाई गई है। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, रॉबर्ट सोलिस नाम के शख्स ने 2019 में अमेरिकी राज्य टेक्सास में भारतीय-अमेरिकी सिख पुलिस अधिकारी संदीप धालीवाल की हत्या की थी। जिसके बाद आरोपी व्यक्ति को मौत की सजा सुनाई गई है।

ज्यूरी ने किया सजा का एलान

यह फैसला नागरिकों से बनी एक ज्यूरी समिति ने दिया है। ज्यूरी ने मौत की सजा की सिफारिश करने से पहले केवल 35 मिनट के लिए विचार-विमर्श किया। वहीं, हैरिस काउंटी शेरिफ एंड गोंजालेज ने ट्वीट कर बताया कि फैसला आ गया है। जूरी सदस्यों ने रॉबर्ट सोलिस को मौत की सजा सुनाई है। हम बेहद आभारी हैं कि धालीवाल को इतने साल बाद न्याय मिल पाया है।

आरोपी सोलिस अपने बचाव में कही ये बात

वहीं, फैसले से पहले आरोपी सोलिस ने अपने बचाव में गवाही दी और उसने ज्यूरी सदस्यों को बताया कि उसने गलती से धालीवाल को गोली मार दी थी। हालांकि, अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि सोलिस ने जानबूझकर धालीवाल को गोली मारी थी। केटीआरके-टीवी ह्यूस्टन की रिपोर्ट के अनुसार, सोलिस ने अपने बचाव में ज्यूरी सदस्यों से कहा कि मुझे केवल यह कहना है कि यह आपका निर्णय है। मेरा जीवन आपके हाथों में है।

एक डाकघर व सड़क को दिया गया है संदीप का नाम

ड्यूटी के दौरान दाढ़ी रखने व पगड़ी बांधने की अनुमति मिलने के बाद संदीप सुर्खियों में आ गए थे। वह यूनाइटेड सिख्स नामक वैश्विक मानवीय सहायता संगठन से भी जुड़े थे। पश्चिमी ह्यूस्टन के एक डाकघर व घटनास्थल के पास स्थित हाईवे संख्या 249 के सर्विस रोड का नामकरण संदीप के नाम पर किया गया है। केटीआरके-टीवी ह्यूस्टन की रिपोर्ट के अनुसार बड़ी बहन हरप्रीत राय ने कहा, ‘काश, संदीप हमारे पास होते। आज कितने लोगों और कितने परिवारों को न्याय मिलता?’

27 सितंबर 2019 में हुई थी हत्या

हैरिस काउंटी क्रिमिनल कोर्ट की ज्यूरी ने 50 वर्षीय सोलिस को ह्यूस्टन में 42 वर्षीय धालीवाल की हत्या के लिए दोषी ठहराया था। 27 सितंबर 2019 को ह्यूस्टन में उत्तर पश्चिम में यातायात जांच के दौरान धालीवाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

ह्यूस्टन पुलिस विभाग ने बदली थी अपनी ड्रेस कोड नीति

बता दें कि धालीवाल ने उस समय सुर्खियां बटोरीं थी। जब उन्हें अमेरिका में दाढ़ी रखने और काम पर पगड़ी पहनने की अनुमति दी गई थी। ह्यूस्टन पुलिस विभाग ने संदीप सिंह धालीवाल की वजह से अपनी ड्रेस कोड नीति तक को बदल दिया था। ताकि ड्यूटी पर तैनाती के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को उनके विश्वास का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति मिल सके।

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