अशोक बालियान, चेयरमैन,पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन

कल दिनांक 29-06-2024 को भारतीय अति पिछड़ा वर्ग संघर्ष मोर्चा के द्वारा शुक्रताल में दो दिवसीय चिंतन शिविर में मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहन प्रजापति ने सवर्णों व् पिछड़ों के विरुद्ध जहर उगलते हुए उनको जूता मारने सहित कुछ अन्य आपत्तिजनक बयान दिये है,जो क़ानून की दृष्टि में अपराध है। यह खबर सोशल मीडिया पर व न्यूज़पेपर पर चल रही है।
मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के इस बयान से सार्वजनिक व्यवस्था का मुद्दा पैदा हो सकता है और इस बयान से जातियों में अनावश्यक नफरत भी पैदा हो सकती है।
किसी भी व्यक्ति को अपनी जाति के कल्याण में दूसरी जाति के बारे में अपशब्द नहीं बोलने चाहिए।हालाकि ऐसे लोग अपने निजी स्वार्थ में अपनी जाति को गुमराह करने का कार्य करते है। विभिन्न जातियों में इस तरह के नेता हिंदुओं में जातीय संघर्ष कर अपने पर्दे के पीछे का उद्देश्य पूरा करते है। जबकि प्रजापति समाज का देश के स्किल में बहुत बड़ा योगदान है।
संविधान के मौलिक अधिकारों के अंतर्गत अनुच्छेद 19 हम सभी को, हर किसी को, बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार देता है, लेकिन अनुच्छेद 19 (2) मुक्त भाषण की सीमा निर्धारित करता है।देश में नफरत फैलाने वाले भाषणों से निपटने के लिए पर्याप्त कानून (आईपीसी की धारा 153 ए) हैं।और धारा 153 ए के तहत किया गया अपराध संज्ञेय है, यानी पुलिस बिना किसी पूर्व वारंट के व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है।
हम जिला पुलिस प्रशासन से भी अनुरोध करते है कि जाति के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता पैदा करने वाला बयान देने पर मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहन प्रजापति के विरुद्ध क़ानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए।

लेख-अशोक बालियान

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