प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी (MSC) बैंक के खिलाफ चार्जशीट दायर की है, जिसमें उसने पहले एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार से जुड़ी एक चीनी मिल की संपत्तियों को कुर्क किया था. अब ईडी ने चार्जशीट में दंपति को आरोपी के रूप में नामित नहीं किया है.

सूत्रों के मुताबिक, अब अजीत पवार और उनकी पत्नी सुनेत्रा का नाम ईडी की चार्जशीट से हटा दिया गया है, लेकिन एमएससी बैंक घोटाले की जांच के दौरान सामने आई कुछ कंपनियों के नामों को बरकरार रखा गया है. कोर्ट को आरोपों का संज्ञान लेना बाकी है और मामले की अगली सुनवाई 19 अप्रैल को है.

​​​​​​​पवार की मुसीबतें बढ़ने की थी उम्मीद 

एमएससीबी घोटाले मामले के जांच के दौरान पता चला था कि इस घोटाले की वजह से इसका असर महाराष्ट्र के क़रीब 3 लाख किसानों पर हुआ हो सकता है. वहीं, ईडी जिस तरह से एमएससीबी घोटाले की जांच कर रही थी तब शुरुआत में दिखाई दे रहा था कि महाराष्ट्र के पूर्व उप मुख्यमंत्री अजीत पवार की मुसीबतें बढ़ सकती हैं. माना जा रहा था कि ईडी पवार परिवार के लोगों को भी पूछताछ के लिए बुला सकती है, लेकिन अजीत पवार को कभी भी पूछताछ के लिए नहीं बुलाया गया.

क्या है पूरा मामला?

प्रवर्तन निदेशालय ने कथित महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (MSCB) घोटाले के संबंध में धनशोधन रोधी कानून के तहत 65 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की एक चीनी मिल कुर्क की और खुलासा किया था. ईडी का कहना था कि कंपनी उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और उनके परिवार से जुड़ी है. मामले में पत्नी सुनेत्रा अजीत पवार शामिल हैं.

65.75 करोड़ रुपये था संपत्ति मूल्य 

राज्य के सतारा जिले के चिमनगांव-कोरेगांव स्थित जरांदेश्वर सहकारी चीनी कारखाना (जरंदेश्वर एसएसके) की भूमि, भवन, संरचना, प्लांट और मशीनरी को कुर्क करने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की आपराधिक धाराओं के तहत एक अनंतिम आदेश जारी किया गया था. ईडी ने कहा था कि संपत्ति का कुल मूल्य 65.75 करोड़ रुपये है जो 2010 में संपत्ति का खरीद मूल्य था.

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