कौशाम्बी/प्रशांत कुमार मिश्रा
दारानगर की ऐतिहासिक दो दिवसीय कुप्पी युद्ध का हुआ समापन
कौशाम्बी। दारानगर की ऐतिहासिक दो दिवसीय कुप्पी युद्ध का बुधवार को समापन हो गया। मंगलवार को विजयदशमी के दिन कुप्पी युद्ध का शुभारम्भ हुआ वही एकादशी के दिन भारी भीड़ के साथ मेले का समापन हुआ।म्योहरा गांव में इसके लिए युद्ध का मैदान सजाकर उसकी बैरिकेटिंग करायी गयी।दोनों दिन राम दल व रावण दल की सेनाओं के बीच रोमांचकारी कुप्पी युद्ध हुआ। काले रंग के कपड़े में रावण दल व लाल रंग के कपड़े में राम दल के बीस-बीस सेनानी प्लास्टिक की कुप्पी लेकर मैदान में उतरे। पहले दिन चार चरणों में युद्ध हुआ। परंपरा के अनुसार पहले दिन की चारों लड़ाई में रावण की सेना श्री राम की सेना पर भारी पड़ी। जबकि दूसरे दिन तीन युद्ध हुआ जिसमें तीनो युद्ध जीत कर राम की सेना विजई हुई।रावण का वध होते ही पूरा युद्ध मैदान राजा रामचन्द्र की जय के उद्घोष से गूंज उठा। बुधवार को दूसरे दिन युद्ध इतना रोमांचक हुआ कि देखने वालो के रोंगटे खड़े हो गए।कुप्पी युद्ध मे सेनानी घायल भी हो जाते है लेकिन रणभूमि की मिट्टी ही इनके लिए दवा का काम करती है।सेनानी बताते है कि इस युद्ध मे शामिल होना उनके लिए गौरव की बात है।कुप्पी युद्ध देखने आए दर्शकों ने बताया कि ऐसा कुप्पी युद्ध कहीं और नही देखने को मिलता इसीलिए वह यहां युद्ध देखने आए हैं।आयोजक मंडल द्वारा इस युद्ध को सजीव करने के लिए महीनों पहले से ही तैयारी शुरू कर दी जाती है।युद्ध के दौरान दोनो दलों की सेना इस कदर बेकाबू हो जाती है कि उन्हें संभालना आयोजको के लिए कभी कभी मुश्किल हो जाता है।एक कुप्पी युद्ध के संपन्न होने पर मेघनाथ वध और कुंभकर्ण वध सहित अन्य लीलाएं होती है।दारानगर की रामलीला का इतिहास 244 वर्ष पुराना है। इस दौरान रामलीला कमेटी के संरक्षक मूल प्रकाश त्रिपाठी , आद्या प्रसाद पांडेय , योगेन्द्र मिश्रा सहित कुप्पी युद्ध मे सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर बड़ी संख्या में पुलिस के जवान सहित तमाम प्रशासनिक अधिकारी व गणमान्य मौजूद रहे।
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