गोरखपुर। शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2022) के पावन पर्व पर मुख्यमंत्री व गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने अष्टमी तिथि की मान में रविवार का रात गोरखनाथ मंदिर के शक्तिपीठ में विधि विधान से विशिष्ट महानिशा पूजा का अनुष्ठान पूर्ण कर लोक कल्याण की मंगलकामना की। रविवार शाम गोरखपुर पहुंचे सीएम योगी आदित्यनाथ सोमवार से लेकर नवमी तिथि के मान में कन्या पूजन तथा दशमी तिथि पर गोरक्षपीठ से निकलने वाले परंपरागत विजय शोभायात्रा तक गोरक्षभूमि पर उपासना रत रहेंगे।

शारदीय नवरात्र के पावन अवसर पर गोरखनाथ मंदिर पहुंचे गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने मंदिर के शक्तिपीठ में महानिशा पूजा का अनुष्ठान पूरे विधि-विधान से सम्पन्न किया। हवन कर उन्होंने आदिशक्ति से लोक कल्याण की मंगल कामना की। नवमी तिथि को सुबह की देवी भगवती के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की आराधना के बाद मुख्यमंत्री पीठ से बाहर निकलेंगे और कन्या पूजन करेंगे। नवमी तिथि वाले दिन ही दशमी तिथि चढ़ने के बाद वह परंपरागत विजय शोभायात्रा में शामिल होंगे।

मां दुर्गा के सप्तम स्वरूप कालरात्रि की पूजा

गोरखनाथ मंदिर के शक्तिपीठ में महानिशा पूजा का अनुष्ठान रविवार रात गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रारम्भ हुआ। रविवार रात को महानिशा पूजा से पूर्व सप्तमी तिथि के मान में मां दुर्गा के सप्तम स्वरूप मां कालरात्रि की सुबह व शाम के सत्र में विधि विधान से पूजा हुई। सुबह के सत्र में पूजन, अनुष्ठान गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ ने किया।

दो घंटे से अधिक चला अनुष्ठान

दो घंटे से अधिक चले अनुष्ठान में गोरक्षपीठाधीश्वर ने गौरी गणेश पूजन, वरुण पूजन, पीठ पूजन, यंत्र पूजन, मां दुर्गा का विधिवत् पूजन, भगवान राम-लक्ष्मण-सीता का षोडशोपचार पूजन, भगवान कृष्ण एवं गोमाता का पूजन, नवग्रह पूजन, विल्व अधिष्ठात्री देवता पूजन, शस्त्र पूजन, द्वादश ज्योर्तिलिंग-अर्धनारीश्वर एवं शिव-शक्ति पूजन, वटुक भैरव, काल भैरव, त्रिशूल पर्वत पूजन किया।

लोक मंगल की कामना के साथ किया हवन

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वेदी पर उगे जौ के पौधे को वैदिक मंत्रों के बीच काटा। नारियल, गन्ना, केला, जायफल आदि की पारंपरिक सात्विक पंच बलि दी। हवन की वेदी पर ब्रह्मा, विष्णु, रूद्र और अग्नि देवता का आह्वान कर पूजन किया। तदुपरांत लोक मंगल की कामना के साथ हवन किया। समस्त अनुष्ठान दुर्गा सप्तसती के पाठ एवं वैदिक मंत्रों के साथ सम्पन्न हुआ। आखिर में आरती एवं क्षमा याचना के बाद प्रसाद वितरित हुआ।

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