“जीवन के रंग”
बोलती हैं आंखे और बोलते हैं लफ़्ज़ पर मौन से सुंदर कोई बात नहीं होती नाराजगी होती है, नफ़रत भी होती है पर वाणी से बढ़कर कोई घात नहीं होती…….…
बोलती हैं आंखे और बोलते हैं लफ़्ज़ पर मौन से सुंदर कोई बात नहीं होती नाराजगी होती है, नफ़रत भी होती है पर वाणी से बढ़कर कोई घात नहीं होती…….…
कैसी जिंदगी जीने को मजबूर हो रहे जिनके लिए कमा रहे उन्हीं से दूर हो रहे….. आशियाना है बहुत ही सुंदर सा खूबसूरत महकाता हुआ गुलशन सा चार दिन तो…
सपनों के शहर में आशियां बनाया है वादों को मुकम्मल, हमने भी निभाया है राह कंटीली, पथरीली हो आई,तब… मखमली कालीन हौसलों का बिछाया है। चलते रहे संग संग आसमां…
कैद नही कर पाई वो लम्हा जिसमें मां से ज्यादा ख़ूबसूरत लगी हूं, जब भी देखती हूं आइना लगता है मां की छबि हूं। मैं सो पाऊं सुकूं से,उसने धीमे…
एक स्त्री बिकती है, या बेच दी जाती है जिस्मफ़रोशो की मंडी में; संसार के लिए , खो देती है स्त्रीत्व, न बहन, न बेटी, न माँ; रह जाती है…
बैशाख के महीने में तपती धूप, गर्मी,उमस से परे… गेहूं की बलिया बीनते बच्चे, बोरे में भरते, भरने को पेट, ईंट भट्टों पर ईंट ढ़ोते मजदूर मेहनत करने को मजबूर!…
यही तो है दुनिया मेरी किताबों का मेरा जहां, इससे ही मिलती ऊर्जा इससे ही मिलता ज्ञान । एकाकीपन आने ना दे जीवन में यदि हो किताब, इससे बढ़कर मित्र…
दिल को अपने रुलाना नहीं चाहती। सच की राहों पे जाना नहीं चाहती। ज़िंदगी है ज़रा सी मैं जी लूं इसे, मुद्दा कोई बनाना नहीं चाहती।। छीन लेती है खुशियां…
तू है दिलबर मेरा तू ही गमखार है। तू मेरा प्यार है, तू मेरा प्यार है।। दूर तुझसे रहूं ये मुनासिब नहीं, मेरी चाहत का तू ही तो हकदार है।।…
प्रेम को सींचती,बढ़ रही कविता है। ज़िंदगी को सकल, गढ़ रही कविता है।। कर जतन, दर्द पीड़ा सहेजे हृदय चांद के शीर्ष पर, चढ़ रही कविता है।। ✍️अंजली श्रीवास्तव