डॉ संजीव बालियान, केंद्रीय पशुपालन, डेयरी राज्य मंत्री, भारत सरकार से पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन अशोक बालियान ने वार्ता करते हुए उन्हें राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत पर बधाई दी।
इसके बाद जब मोदी सरकार के कामकाज पर बात हुई तो डॉ बालियान ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में विभिन्न फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी हुई है। किसानों की आय बढ़ाना, खेती का खर्च कम करना, बीज से बाजार तक किसानों को आधुनिक सुविधाएं देना, ये हमारी सरकार की प्राथमिकता है। पीएम किसान सम्मान निधि के लाभार्थियों को 6,000 रुपये का सालाना नकद लाभ दिया जाता है, जो 2,000 रुपये की तीन किस्तों में दिए जाते हैं। देश के किसानों को 15 किस्तों में 2.77 लाख करोड़ रुपये जारी किए जा चुके थे। यह उनकी अतिरिक्त आय बन गयी है।
डॉ बालियान ने यह भी कहा कि कृषि क़ानून वापसी प्रकरण के बाद भी केंद्र की मोदी सरकार किसानों, कृषि और गांवों के विकास के लिए काम कार्य कर रही है। किसानों की आय बढ़ाना, खेती का खर्च कम करना, बीज से बाजार तक किसानों को आधुनिक सुविधाएं देना, ये हमारी सरकार की प्राथमिकता है। डॉ बालियान ने कांग्रेस पर सवाल उठाते हुए कहा कि देश में आज सबसे महंगा पेट्रोल 113.48 रूपये प्रति लीटर कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में है, जबकि उत्तरप्रदेश में योगी सरकार में पेट्रोल 96.50 रूपये प्रति लीटर व डीजल 89.68 रूपये प्रति लीटर बिक रहा है।
प्रश्न- क्या मनमोहन सिंह सरकार के मुकाबले में मोदी सरकार में धान व गेहूं जैसी मुख्य फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी हुई है।
उत्तर-मनमोहन सिंह की सरकार आने के समय विपणन वर्ष 2004-05 में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 560 रुपये से प्रति क्विंटल था और और उनके 10 वर्ष के कार्यकाल में विपणन वर्ष 2013-14 में 1310 हो गया था अर्थात उनके 10 वर्ष के कार्यकाल में 750 प्रति क्विंटल मूल्य बढ़ा था।
मोदी की सरकार आने के समय विपणन वर्ष 2013-14 में 1310 धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रति क्विंटल था और और उनके 10 वर्ष के कार्यकाल में विपणन वर्ष 2023-24 में 2183 हो गया है अर्थात उनके 10 वर्ष के कार्यकाल में 873 प्रति क्विंटल धान का मूल्य बढ़ा है।
मनमोहन सिंह की सरकार आने के समय विपणन वर्ष 2004-05 में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 640 रुपये से प्रति क्विंटल था और और उनके 10 वर्ष के कार्यकाल में विपणन वर्ष 2013-14 में 1400 रुपये हो गया था अर्थात उनके 10 वर्ष के कार्यकाल में 760 रुपये प्रति क्विंटल गेहूं मूल्य बढ़ा था।
मोदी की सरकार आने के समय विपणन वर्ष 2013-14 में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)1400 रुपये प्रति क्विंटल था और उनके 10 वर्ष के कार्यकाल में विपणन वर्ष 2023-24 में 2275 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है अर्थात उनके 10 वर्ष के कार्यकाल में 875 प्रति क्विंटल मूल्य बढ़ा है।
प्रश्न- विपक्ष व कुछ किसान संगठनों का आरोप है कि मोदी सरकार ने मनमोहन सिंह सरकार के मुकाबले धान व गेहूं की कम सरकारी खरीद की है।
उत्तर- विपक्ष व कुछ किसान संगठनों का यह आरोप असत्य है। मोदी सरकार ने मनमोहन सिंह सरकार के मुकाबले धान की दोगुने से अधिक सरकारी खरीद की है। मनमोहन सिंह सरकार के शासन काल में धान की अधिकतम खरीद सिर्फ 388.05 लाख मिट्रिक टन (LMT) थी, जो मोदी सरकार के शासन काल में में वर्ष 2021 में ही बढ़कर 851.72 लाख मिट्रिक टन हो गई थी।
मनमोहन सिंह सरकार के शासन काल में रबी मार्केटिंग सीजन (RMS) 2012-13 में गेहूं की सबसे अधिक खरीद हुई थी। और यह 381.48 लाख मिट्रिक टन के रिकॉर्ड स्तर पर थी, जबकि मोदी सरकार के शासन काल में वर्ष 2021 में 432.58 लाख मिट्रिक टन हो चुकी थी।
किसान आंदोलन के नाम पर विपक्ष के नेता अन्नदाताओं को बरगला रहे थे कि सरकारी खरीद बंद हो जाएगी,उन्हें इस रिकार्ड को देखना चाहिए। और उन्हें तथ्यों के आधार पर बात करनी चाहिए।
प्रश्न- विपक्ष व कुछ किसान संगठनों का आरोप है कि मोदी सरकार ने मनमोहन सिंह सरकार के मुकाबले कृषि पर कम खर्च किया है।
उत्तर- विपक्ष व कुछ किसान संगठनों का यह आरोप असत्य है। मोदी सरकार के शासन काल में कृषि बजट आवंटन में 5.6 गुना वृद्धि हुई है। मनमोहन सिंह सरकार के शासन काल में वर्ष 2013-14 में कृषि बजट 21,933 करोड़ रूपये था, जोकि मोदी सरकार में वर्ष 2023-24 में 1,25,036 रूपये हो गया था ।
प्रश्न- विपक्ष व कुछ किसान संगठनों का आरोप है कि मोदी सरकार में मनमोहन सिंह सरकार के मुकाबले खाद्यान्न उत्पादन कम हुआ है।
उत्तर- मनमोहन सिंह सरकार में खाद्यान्न उत्पादन वर्ष 2013-14 में 265.05 एम एम टी हुआ था और मोदी सरकार में वर्ष 2022-23 में 323.55 एम एम टी खाद्यान्न उत्पादन हुआ है। यदि मोदी सरकार में किसानों को उचित मूल्य न मिलता, तो यह उत्पादन न बढ़ता।
प्रश्न- विपक्ष व कुछ किसान संगठनों का आरोप है कि मोदी सरकार ने दलहन और तिलहन के सेक्टर में कुछ नहीं किया हैं।
उत्तर- जहां पहले दलहन और तिलहन की कम बुआई होती थी और मामूली खरीद होती थी, तो देश आयात पर अधिक निर्भर रहता था। वहीं अब मोदी सरकार में दलहन और तिलहन की अधिक बुआई हो रही है और एमएसपी पर अधिक खरीद होती है। देश की आयात पर निर्भरता कम हुई है तथा उपभोक्ता को भी उचित कीमत मिल रही है। भारत सरकार इस साल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से 100 प्रतिशत दलहन और तिलहन खरीदने पर विचार कर रही है।मसूर का मूल्य वर्ष 2014-15 में 2950 रूपये प्रति क्विंटल था, जो अब मोदी सरकार में 6425 रूपये प्रति क्विंटल है, जो दोगुना से अधिक है। सरसों का मूल्य वर्ष 2014-15 में 3050 रूपये प्रति क्विंटल था, जो अब मोदी सरकार में 5650 रूपये प्रति क्विंटल है।
अंत में डॉ बालियान ने कहा कि कृषि कानूनों के बारे में भी विपक्ष व कुछ किसान संगठनों ने किसानों को गुमराह किया था कि अगर ये कानून लागू हो गए तो दूसरे लोग उनकी जमीन पर कब्जा कर लेंगे। मुझे बताएं कि क्या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कानून में एक भी प्रावधान था, जो किसी भी व्यापारी को किसी भी किसान की जमीन छीनने की इजाजत देता था। कृषि कानूनों के बारे में निहित स्वार्थों द्वारा किसानों को गुमराह किया गया था। पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन अशोक बालियान किसान तक पहुंचने का प्रयास कर रहे है तथा उन्हें बता रहे है कि तीनों कृषि कानून किसानों के हित के थे।