ट्यूबरक्लोसिस अथवा क्षयरोग फेफड़े को प्रभावित करने वाली एक ख़तरनाक बीमारी है. पूरी दुनिया इस बीमारी से त्रस्त है. वहीं भारत भी इस बीमारी की चपेट से बचा नहीं है, हमारे देश को शुगर अथवा डायबिटीज के मरीज़ों की राजधानी बोला जाता है. शुगर के रोगी को TB से प्रभावित होने का खतरा नार्मल व्यक्ति से 2% से 3% अधिक होता है.अगर टीबी के मरीज को डायबीटीज भी होती है तो इनमें दोबारा टीबी होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। साथ ही इन दोनों बीमारियों से एक साथ जूझ रहे मरीजों में मृत्युदर भी अधिक देखी जाती है। इस साल World TB Day का थीम है ” The Clock is ticking” यानि समय गुज़र रहा है.
TB एक संक्रामक रोग है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है. इसलिए TB से सम्बंधित जानकारी हर किसी के पास रहना जरूरी.
शुरुआत में TB को बेहद खतरनाक बीमारी माना जाता था लेकिन वैक्सीन की खोज होने के बाद इस बीमारी से लड़ाई बेहद आसान हो गयी है लेकिन WHO आज भी इस रोग को जानलेवा बीमारी की लिस्ट में रखा है, क्यूंकि हर साल पूरी दुनिया लाखों लोगों की मृत्यु इस रोग की वजह से होती है.
क्यों मनाते है World TB डे?
वर्ल्ड TB दिवस हर वर्ष 24 मार्च को मनाया जाता है क्यूंकि इस दिन 1882 को जर्मन साइंटिस्ट रोबॉर्ट कोच ने TB के बैक्टीरियम की खोज की थी. बैक्टीरियम की खोज के बाद इलाज करना आसान हो गया. इसके लिए उन्हें 1905 में नोबेल पुरस्कार से भी नवाज़ा गया.
भारत में सबसे ज्यादा TB का मरीज़ उत्तर प्रदेश में है. देश का हर चौथा TB मरीज़ उत्तर प्रदेश का है. सरकार TB के रोकथाम के लिए कई प्रोग्राम चला रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया कि वर्ष 2025 तक पूरे देश को TB मुक्त बनाना है. TB कि रोकथाम के लिए सरकारी अस्पताल में मरीजों कि मुफ्त में इलाज होता है साथ ही इलाज के दौरान हर महीने सरकार द्वारा 500 रूपये मरीज के बैंक अकाउंट में दिया जाता है. वहीं प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज करवाने वाला मरीज़ भी 500 रूपये प्राप्त कर सकता है.
कोरोना काल में TB से लड़ाई मुश्किल हो गयी है लेकिन हम मिलकर इस रोग पर जीत हासिल कर सकते हैं.
लेखिका: खुशबू झा