डॉ संजीव बालियान, केंद्रीय पशुपालन, डेयरी राज्य मंत्री, भारत सरकार के साथ पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन अशोक बालियान ने भारत सरकार से जुड़े मुद्दों वार्ता की हैं
केंद्रीय पशुपालन राज्य मंत्री डॉ बालियान ने कहा कि सरकार के दृष्टिकोण से किसानों के जीवन के उत्थान के लिए बेहद महत्वपूर्ण होने के बावजूद तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना एक कठिन निर्णय था। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकरण के बाद भी केंद्र की मोदी सरकार किसानों, कृषि और गांवों के विकास के लिए काम कार्य कर रही है। किसानों की आय बढ़ाना, खेती का खर्च कम करना, बीज से बाजार तक किसानों को आधुनिक सुविधाएं देना, ये हमारी सरकार की प्राथमिकता है। डॉ बालियान ने कांग्रेस पर सवाल उठाते हुए कहा कि देश में आज सबसे महंगा पेट्रोल 113.48 रूपये प्रति लीटर कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में है, जबकि उत्तरप्रदेश में योगी सरकार में पेट्रोल 96.50 रूपये प्रति लीटर व डीजल 89.68 रूपये प्रति लीटर बिक रहा है।
प्रश्न- पिछले नौ वर्षों में केंद्र की मोदी सरकार ने किसान समर्थक नीतियों और योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए सिस्टम में कौनसी महत्वपूर्ण कमियां दूर की है।
उत्तर- पीएम किसान सम्मान निधि योजना का ही उदाहरण लें तो लगभग 11.75 करोड़ किसानों को सीधे उनके बैंक खातों में 2.50 लाख करोड़ रुपये का लाभ मिला है। और हमारी सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि बिचौलियों को इस योजना के सिस्टम से हटा दिया जाए। ये रकम कितनी बड़ी है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि 2014 से पहले के 5 वर्षों का कुल कृषि बजट ही मिलाकर 90 हजार करोड़ रुपये से कम था।
प्रश्न- विपक्ष व कुछ किसान संगठनों का आरोप है कि किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत नहीं मिलती है और न ही सरकार खरीद की जाती है।
उत्तर- किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत मिले इसे लेकर हमारी सरकार शुरू आए बहुत गंभीर रही है। पिछले 9 साल में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को बढ़ाकर, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद कर 15 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा किसानों को दिए गए हैं। वर्ष 2014-15 में मनमोहन सिंह सरकार के समय एमएसपी के तौर पर सरकार ने किसानों को 1.06 लाख करोड़ रुपये दिए थे, जो मोदी सरकार के दौरान 2021-22 में बढ़कर 2.75 लाख करोड़ रुपये हो गये है। जब केंद्र में हमारी सरकार आयी थी तब तक वर्ष 2015-16 में एमएसपी पर देश के 78.3 लाख किसानों ने खाद्यान्न बेचा था, जबकि वर्ष 2021-22 में किसानों की संख्या बढ़कर 194 लाख हो गई थी, इससे पता चलता है कि हमारी सरकार लगातार एमएसपी भी बढ़ा रही है और सरकारी खरीद का दायरा भी बढ़ा रही है। वर्ष 2014-15 में खाद्यान्न (गेहूं, धान और दालों सहित) की कुल खरीद 759.44 लाख टन थी, जो 2021-22 में बढ़कर 1345.45 लाख टन हो गई थी। कुछ लोग केवल झूठे आंकड़े बोलकर किसानों को गुमराह करने का कार्य कर रहे है।
प्रश्न- विपक्ष व कुछ किसान संगठन आरोप लगा रहे है कि आपकी सरकार में किसान बर्बाद हो गया है।
उत्तर- हमारी सरकार ने भारत का एग्रीकल्चर बजट कई गुना बढ़कर 1.25 लाख करोड़ रुपये हो किया है। वर्ष 2014 में हमारे सत्ता में आने से पहले भारत का एग्रीकल्चर बजट केवल 25,000 करोड़ रुपये से कम था, जो आज देश का कृषि बजट 1.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। विपक्ष व कुछ किसान संगठनों के ये आरोप असत्य है उन्हें तथ्यों पर बात करनी चाहिए। हमारी सरकार किसानों के लिए लघुकालीन व दीर्घकालीन दोनों तरह की योजनाओं पर कार्य कर रही है। अब आप समझ सकते है कि हमारी सरकार किसान की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए लगातार काम कर रही है।
प्रश्न- विपक्ष व कुछ किसान संगठन आरोप लगा रहे है कि आपकी सरकार ने उर्वरक के मूल्यों में दो गुनी बढ़ोतरी की है।
उत्तर- हमारी सरकार में पिछले लगभग नौ वर्ष से किसान को एक यूरिया बैग के लिए करीब 270 रुपये से भी कम चुकाने पड़ रहे हैं। जबकि मनमोहन सरकार में यूरिया का एक बैग का मूल्य 335 रूपये था। पिछले 9 वर्षों में बीजेपी सरकार ने उर्वरक सब्सिडी पर 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं।
प्रश्न- विपक्ष व कुछ किसान संगठन आरोप लगा रहे है कि आपकी सरकार ने गन्ना किसानों के लिए कुछ नहीं किया है।
उत्तर- विपक्ष व कुछ किसान संगठनों के आरोप असत्य है क्योकि हमारी सरकार ने गन्ना किसानों का बकाया चुकाने के लिए चीनी मिलों को 20,000 करोड़ रुपये का पैकेज दिया गया था। हमारी सरकार ने पेट्रोल में इथेनॉल ब्लेंडिंग को प्राथमिकता दी और पिछले 9 वर्षों में चीनी मिलों से 70,000 करोड़ रुपये का इथेनॉल खरीदा गया है। गन्ने की ऊंची कीमतों पर लगने वाले टैक्स को भी खत्म कर दिया गया है। इस बजट में सहकारी चीनी मिलों को पुराना बकाया चुकाने के लिए 10,000 करोड़ रुपये की मदद दी गई थी। ये सब बकाया पिछली सरकार छोड़कर गयी थी। हमारी सरकार ने चीनी का न्यूनतम विक्रिय मूल्य तय किया है ताकि किसानों को गन्ना भुगतान व उचित रेट मिलने में कठिनाई न आये। हमारी सरकार ने चीनी के आयात पर आये ड्यूटी 100 प्रतिशत की हुई है, जबकि मनमोहन सिंह जी को सरकार में यह 15 प्रतिशत रही थी। इनसब के बाबजूद हम मानते है कि देश में कुछ चीनी मिलें भुगतान को लेकर पिछड़ी हुई है, उस संबध में हमारी सरकार प्रयासरत है।
प्रश्न- केंद्र सरकार ने एक लाख करोड़ का एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड बनाया था, उसको किस मद में अधिक खर्च किया जा रहा है।
उत्तर- भारत में खाद्य सुरक्षा बनाए रखने के लिए देश में एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा दिया जा रहा है। अभी देश का 50 परसेंट अनाज ही स्टोर रखने की सुविधा है। इस कमी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार दुनिया की सबसे बड़ी स्टोरेज स्कीम लेकर आई है. इसें 700 लाख टन स्टोरेज की क्षमता बनाई जा रही है। पिछले तीन साल में सरकार ने 40 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया है। इससे पहले इसमें कभी भी इतनी धनराशी का निवेश नहीं हुआ है। हमारी सरकार का किसान हित का यह बड़ा निर्णय रहा है।
प्रश्न- केंद्र सरकार पशुओं के लिए वैक्सीन क्या कदम उठा रही है।
उत्तर- केंद्र सरकार ने पहली बार पूरे देश में मुफ्त टीकाकरण अभियान चलाया है, जहां 24 करोड़ पशुओं को टीका लगाया गया है। खुरपका और मुंहपका रोग (FMD) को अभी भी जड़ से खत्म नहीं किया जा सका है, इसलिए वैक्सीनेशन पर सरकार का अधिक जोर है। हमारी सरकार किसान हित में पशुपालन को प्रमोट करने के लिए पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना भी चला रही है, जिसके तहत बहुत सस्ता लोन मिलता है।
प्रश्न- केंद्र सरकार फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ) पर बहुत जोर देर रही है, इसका मुख्य उदेश्य क्या है।
उत्तर- केंद्र सरकार यह सुनिश्चित कर रही हैं कि केंद्रीय योजनाओं के तहत मिलने वाली सहायता राशि बिना किसी भ्रष्टाचार के लाभार्थियों तक पहुंचे। देश में 6,865 करोड़ रुपये की लागत से 10,000 नए एफपीओ बनाए जा रहे हैं, जिससे करोड़ों छोटे और मध्यम किसानों को लाभ होगा और उनके जीवन में सुधार होगा। एसपीओ के माध्यम से किसानों को तकनीकी, मार्केटिंग, ऋण, प्रोसेसिंग, सिंचाई आदि जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती है। इस योजना के माध्यम से किसान 15 लाख रुपए तक का ऋण भी ले सकते हैं।
प्रश्न- केंद्र की मोदी सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र के लिए लागू की गई सबसे क्रांतिकारी कृषि योजना कौन सी है?
उत्तर- पीएम किसान सम्मान निधि, 10,000 नए एफपीओ का निर्माण और 1 लाख करोड़ रुपये के कृषि इन्फ्रा फंड का निर्माण शामिल है। इनके अलावा, हम देश में ‘स्मार्ट कृषि’ विकसित करने के लिए पीएम मोदी के विजन को भी लागू करने का प्रयास कर रहे हैं। डिजिटल कृषि मिशन और खेती में प्रौद्योगिकी का उपयोग यह सुनिश्चित करेगा कि हमारे कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए। इन योजनाओं से किसानों का कल्याण सुनिश्चित होगा और उनके राजस्व में वृद्धि होगी। देश में ‘स्मार्ट कृषि’ विकसित करने के तहत आधुनिक, यंत्रीकृत, आत्मनिर्भर और अनुकूलनीय तकनीक से चलने वाली खेती को विकसित किया जाएगा।
प्रश्न- क्या आपको लगता है कि कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद अब आने वाले लोकसभा चुनावों पर कोई असर पड़ेगा?
उत्तर-मुझे नहीं लगता कि कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद अब होने वाले लोकसभा चुनावों पर कोई असर पड़ेगा। जिन राजनैतिक दलों के बड़े नेता खुद भ्रष्टाचार में लिप्त है, वे किसान आन्दोलन के समय किसानों को बैसाखी की तरह इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे थे और भारतीय जनता पार्टी को कमजोर करने का सपना देख रहे थे। हालांकि, लोगों ने ऐसी ताकतों के प्रयासों को खारिज कर दिया था। हमने उत्तर प्रदेश की सत्ता में जोरदार वापसी की थी। साथ ही उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भी भाजपा की सरकारें बहुमत के साथ वापस आ गई थी।
प्रश्न- विपक्ष का आरोप है कि गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों को चूल्हे के धुंए से निजात दिलाने के उद्देश्य से आपकी सरकार ने कुछ नहीं किया है।
उत्तर- गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों को चूल्हे के धुंए से निजात दिलाने के उद्देश्य से केंद्र ने इस योजना की शुरुआत 1 मई 2016 को की थी। इसके तहत जरूरतमंद परिवारों के लिए घरेलू रसोई गैस यानी LPG कनेक्शन मुफ्त में मुहैया कराती है और इस योजना में 9 करोड़ अधिक एलपीजी कनेक्शन बांटे गए थे। हमारी सरकार ने अभी हाल में ही घोषणा की है कि उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को एलपीजी सिलेंडर अब 703 रुपये में मिलेगा। इसके अलावा सरकार उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त में 75 लाख नए एलपीजी कनेक्शन देने का भी ऐलान किया है। इससे प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों की संख्या 10.35 करोड़ हो जाएगी। मनमोहन सरकार में 1 सितंबर 2014 को राजधानी दिल्ली में घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत 901 रुपये थी, वहीं अब सितंबर 2023 में ये 903 रुपये पर आ गई है। इसलिए विपक्ष के आरोप असत्य है और वे जनता के सामने झूठ बोलकर उनको गुमराह करने का प्रयास करते रहते है। जबकि हम वास्तविक तथ्यों पर बात करते है।
प्रश्न- विपक्ष का आरोप है कि गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों के लिए आपकी सरकार ने कोई योजना नहीं चलाई है।
उत्तर- भारत में कोरोना काल के दौरान शुरू की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का मकसद देश के हर नागरिक का पेट भरना था। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के जरिए देश के करीब 80 करोड़ लोगों को राशन मिल रहा है। इसमें प्रत्येक नागरिक को 5 किलो से अधिक अनाज दिया जाता है।इस योजना के तहत अब तक सरकार करीब 5.91 लाख करोड़ रुपये का खर्च हो चुकी है।
प्रश्न- विपक्ष का आरोप है कि गरीब के लिए चिकित्सा महंगी हो गयी है।
उत्तर- मोदी सरकार ने भारत में आयुष्मान भारत योजना शुरू की थी, और इस योजना तहत गरीबी रेखा से नीचे (BPL) आने वाले परिवारों को 5 लाख रुपये तक का नकदी रहित (कैशलेस) मुफ्त स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जा रहा है। विश्व की सबसे बड़ी हेल्थ स्कीम का लाभ देशभर के करोड़ों लोग उठा रहे हैं। हमारी सरकार ने वर्ष 2019-20 में 4.78 करोड़ और वर्ष 2022-23 में 9.22 करोड़ आयुष्मान कार्ड जारी किए गए हैं। पीएम मोदी ने वर्ष 2018 में आयुष्मान भारत ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ की शुरुआत की थी। इसके साथ ही हमारी सरकार ने सभी को सस्ती जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए औषधि केंद्रों की स्थापना की है, इससे चिकित्सा खर्च काफी घटा है।
प्रश्न- किसानों को साहूकारों के चुंगल से बचाने के लिए आपकी सरकार ने क्या कदम उठाये है
उत्तर- हमारी सरकार किसानों को साहूकारों के चुंगल से बचाने के लिए व पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन पर ध्यान केंद्रित करते हुए इस वित्त वर्ष के लिए कृषि ऋण लक्ष्य को 11 प्रतिशत बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपये करने की घोषणा की थी, ताकि किसान को अपनी जरूरत पूरी करने के लिए साहूकारों के पास न जाना पड़े। यह ऋण किसानों को 4 प्रतिशत ब्याज पर उपलब्ध होता है।
प्रश्न- कांग्रेस पार्टी प्रमुख राहुल गांधी चुनावी रैलियों में दावा करते रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ उद्योगपतियों के बैंक ऋण माफ़ किए हैं।
उत्तर-केंद्र की मोदी सरकार हो या इससे पहली मनमोहन सरकार रही हो, किसी भी सरकार ने उद्योगपतियों के बैंक ऋण माफ़ नहीं किए हैं। भारत में बैंकिंग सिस्टम के अनुसार गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) का लेखन-बंद बैंकों द्वारा अपनी बैलेंस शीट को साफ़ करने के लिया किया जाता है जो एक आम बात है। इस तरह के ऋण को चुकाने के लिए क़र्ज़दारों से वसूली जारी रखी जाती है। मनमोहन सरकार के 10 साल (2004 से 2014 तक) के शासन में भी बढ़ते एनपीए की समस्या बनी रही थी। एनपीए खातों से वसूली में कर्ज अदायगी के लिए सभी के साथ सेटलमेंट का नियम है। वर्ष 2008 मार्च में बैंकों के दिए गए कर्ज़ की जो राशि 23.3 लाख करोड़ रुपये थी, वो मार्च वर्ष 2014 तक बढ़कर 61 लाख करोड़ रुपये हो गई थी। इसीलिए कांग्रेस पार्टी प्रमुख राहुल गांधी के आरोप असत्य है।
प्रश्न- प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2014 में सत्ता में आने पर खेती को लाभकारी बनाने के लिए और क्या-क्या कार्य किये।
उत्तर- प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2014 में सत्ता में आने पर खेती को लाभकारी बनाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए थे। भारत में भूमि में रासायनिक उर्वरकों के असंतुलित इस्तेमाल को रोकने के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की गई। अब तक 22 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए जा चुके हैं। इससे देश में मिट्टी की गुणवत्ता जांच की एक बहुत बड़ा नेटवर्क तैयार हुआ है। नीम कोटेड यूरिया की शुरुआत से न केवल पड़ोसी देशों को होने वाली यूरिया की तस्करी रूकी, बल्कि उसकी क्षमता में भी बढ़ोत्तरी हुई। अब सरकार नैनो यूरिया को बढ़ावा दे रही है, ताकि देश यूरिया के मामले में आत्मनिर्भर बने। किसानों द्वारा जो कृषि यंत्र को अपने खेतों में इस्तेमाल किये जाते है, उन कृषि यंत्रों पर हमारी सरकार भारी सब्सिडी देती है। हमारी सरकार ने वर्ष 2014 से 2022 के बीच गेहूं के एमएसपी में 47 प्रतिशत बढ़ोत्तरी की, वहीं चना में 68 प्रतिशत, सरसों में 76 प्रतिशत और मसूर में 95 प्रतिशत बढ़ोत्तरी की है।
हमारी सरकार ने राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई नाम) के साथ–साथ सरकार फल-सब्जी, दूध, मछली जैसे जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं के शीघ्र परिवहन हेतु किसान रेल व किसान उड़ान की व्यवस्था की है। राष्ट्रीय स्तर पर कृषि उपज के कारोबार को बढ़ावा देने के लिए केंद्र ने राज्यों से खाद्यान्न कारोबार पर मंडी शुल्क में एकरूपता लाने की सलाह दी है। इससे जिंस बाजार एकीकृत नहीं हो पाता है जिसका दुष्प्रभाव खाद्य प्रसंस्करण उद्योग पर पड़ता है। हमारी सरकार के कार्यकाल में कृषि बाजार के उदारीकरण से किसानों की आमदनी बढ़ी और कृषि उपजों का निर्यात रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच गया है।