संभल। आधार कार्ड में संशोधन के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड हरियाणा का है। वह दिल्ली में बैठकर गिरोह संचालित कर रहा है। पुलिस को पता चला है कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के समानांतर साफ्टवेयर बनाकर सप्लाई करता है। उससे आइरिस की कापी हो जाती है और फिंगर प्रिंट भी रबर पर आ जाते हैं।
खास बात यह है कि इस साफ्टवेयर को कहीं भी ले जाकर काम किया जा सकता है। जबकि, आधार कार्ड केंद्र एक निर्धारित लोकेशन पर ही काम करता है। आधार कार्ड बनवाने या संशोधन के लिए व्यक्ति को केंद्र तक जाना होता है। पुलिस यूआइडीएआइ को उसके सिस्टम में सेंधमारी से अवगत कराने की भी तैयारी कर रही है। पुलिस ने सात अप्रैल को बदायूं और अमरोहा के चार आरोपितों को गिरफ्तार कर गिरोह का राजफाश किया था। गिरोह फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र व पासपोर्ट बनाकर आधार कार्ड में संशोधन करता था।
गिरोह के पास से उत्तर प्रदेश, पंजाब, बंगाल, तमिलनाडु, झारखंड, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर और राजस्थान के 42 फर्जी जन्म प्रमाण पत्र, रबर फिंगर प्रिंट, आइरिस, 36 पैन कार्ड प्रपत्र, चार सौ से अधिक संशोधित आधार कार्ड भी मिले थे। गुन्नौर के विनोद के पास से पिता पंचम सिंह के दो आधार कार्ड मिलने पर पुलिस गिरोह तक पहुंची थी। 71 वर्षीय पंचम सिंह को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना का लाभ दिलाने के लिए उनकी 21 वर्ष उम्र कम कराई गई थी।
आरोपितों से पूछताछ में पुलिस को मास्टरमाइंड सहित कई लोगों के बारे में जानकारी मिली है। पता चला है कि गिरफ्तार आशीष पहले कंप्यूटर साइंस में बीटेक करना चाहता था, लेकिन मनपसंद कालेज न मिलने पर कासिम के संपर्क में आ गया और आधार के फर्जीवाड़े में जुड़ गया। इसका संपर्क दिल्ली में मास्टरमाइंड से हुआ। वह फर्जी साफ्टवेयर, कंप्यूटर, रबर के फिंगर प्रिंट स्कैनर और अन्य तकनीकी उपकरण बड़ी मात्रा में उपलब्ध कराता है। आशीष और कासिम जैसे लोग दिल्ली के इस साफ्टवेयर डेवलपर की मदद से कई राज्यों में नेटवर्क तैयार करते थे।
गिरोह में वेब डिजाइनर और वेंडर से लेकर फील्ड में काम करने वाले रिटेलर तक की जिम्मेदारी अलग-अलग तय है। पुलिस दिल्ली में मास्टरमाइंड की तलाश में दबिश दे रही है। उसकी गिरफ्तारी के बाद अन्य लोगों के बारे में जानकारी मिलने की संभावना है। एएसपी अनुकृति शर्मा ने बताया कि गिरोह से जुड़े कुछ अन्य लोगों की तलाश है। पूरे मामले से यूआइडीएआइ को अवगत कराया जा रहा है। ताकि सिस्टम में सुधार किया जा सके।
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