तुम्हे देख के अलमारी में रखी डायरी निकाली है
हाय क्या रूप है तेरा,
इस दिल मे बन्द बरसो पुरानी आज शायरी निकाली है।
अर्ज किया है…..
भूरी ग्रेफाइट वाली आंखों से कहते हो तुम,
भूरी ग्रेफाइट वाली आंखों से कहते हो तुम,
मैंने अपने ग़मो पे मुस्कुराहट की पैबन्द डाली है।
मैंने अपने गमों पे मुस्कुराहट की पैबन्द डाली हौ।
तुम्हें देख के अलमारी में रखी…………
तुम किसी और पे मरते हो और हम सनम तुमपे
तुम किसी और पे मरते हो और हम सनम तुमपे
कमबख्त ये मोहब्बत का पहिया नही है
जैसे मछली फ़साने डाली मल्लाह ने जाली है।
तुम्हेँ देख के ………
अंकिता ✍️