आखिर किसकी शह पर प्रशासन व सामाजिक संस्थाओं का सहयोग न करने वाली कमैटी कर रही भ्रष्टाचार?

मुज़फ्फरनगर/अदनान अख्तर

कब्रिस्तान, जो हर मुसलमानों के लिए आखरी मकाम होता है, उसी कब्रिस्तान के मुर्दों को कफ़न चोरी का डर सता रहा है। शहर मुज़फ्फरनगर का शामली रोड स्थित ईदगाह वाला कब्रिस्तान अपनी बदहाली पर रो रहा है। यहाँ बिजली व साफ सफाई तो बहुत दूर की बात है, यहां की बदहाल व्यवस्था देखकर प्रतीत होता है कि मुर्दों को भी अपने कफ़न के चोरी होने का खतरा है। उक्त कब्रिस्तान को देख “अंधेर नगरी चौपट राजा” वाली कहावत सटीक बैठती है।

लावारिश शव को सुपुर्द करने के बाद रसीद तक नहीं दी: क्रांतिकारी शालू सैनी
साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट की अध्यक्ष एवं लिमका बुक ऑफ रिकॉर्ड होल्डर क्रांतिकारी शालू सैनी हज़ारों लावारिस शवों का शव के धर्मानुसार अंतिम संस्कार कर चुकी हैं। बीते वर्ष एक मुस्लिम लावारिस शव को दफनाने के बाद से अब तक क्रांतिकारी शालू सैनी को उक्त शव की कब्र की रसीद आज तक नहीं दी गई है। शालू सैनी बताती है कि पिछले एक वर्ष में दर्जनों बार कब्रिस्तान जाकर उन्होंने रसीद की मांग करी, साथ ही मुस्लिम समाज के ज़िम्मेदार लोगों के माध्यम से कब्रिस्तान की कमैटी से संपर्क किया गया लेकिन कमैटी टाल मटोल करती आ रही है। उक्त कब्रिस्तान की कमैटी सहयोग ना करके सिर्फ टाल मटोल करने में विश्वास रखती है। यदि जल्द ही रसीद न मिली तो क्रांतिकारी शालू सैनी कानूनी तौर से शिकायत दर्ज कराएंगी। वहीं क्रांतिकारी शालू सैनी ने बताया कि शहर के अन्य कब्रिस्तानों की व्यवस्था काबिल ए तारीफ है। मात्र ईदगाह वाले कब्रिस्तान में किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था या सुविधा नहीं है। यहाँ की कमैटी अपनी घुन में मस्त रहती है।

हर कोई नेता बनता है, व्यवस्था कोई देना नहीं चाहता: नगरवासी
ईदगाह वाले कब्रिस्तान में इसाल-ए-सवाब पहुंचाने वाले लोग कब्रिस्तान की अव्यवस्थाओ व कमेटी की लापरवाही से परेशान हो चुके हैं। लोगो का कहना है कि कमेटी के मौन धारण करने की वजह से कब्रिस्तान का बुरा हाल है, कब्रिस्तान में झाड़ इतनी बड़ी हो चुकी जिसके कारण लोगो को अपने पूर्वजों तक जाने की कोई भी पगडंडी नजर तक नहीं आती है। कब्रिस्तान में बिजली के खंभे भी नही है। जिस कारण पूरा कब्रिस्तान रात में अंधेरे से जूझता है। यदि किसी मुर्दे को रात्रि के समय दफनाने के लिए लोग आते हैं तो अंधेरे की समस्या का समाधान इस कब्रिस्तान के लिए नामुमकिन सा हो चुका है। इसके अलावा कब्रिस्तान में बंदरो का प्रकोप जारी है। आये दिन बंदरों के हमले से लोग घायल हो रहे हैं।

कमैटी द्वारा किया जा रहा हर चीज़ में गड़बड़ घोटाला
गौर किया जाए तो कब्रिस्तान की कितनी दुकाने किराए पर किस नाम से चली आ रही थी और आज कितनी दुकाने किस नाम से चल रही है। इसका कोई भी लेखा व ऑडिट किसी प्रकार का नहीं किया गया। सब बंदरबांट के आधार पर चल रहा है। बड़ा सवाल है कि क्या कब्रिस्तान को कमेटी के लोगो ने महज़ अपनी आमद का एक जरिया बना रखा है?
क्या इन लोगो पर कोई कार्यवाही अमल में नहीं लानी चाहिए? या फिर हमें भी मौन धारण कर “अंधेर नगरी चौपट राजा” वाली स्कीम का पालन करना चाहिए! आने वाले समय में उक्त कब्रिस्तान में मुर्दों के कफन चोरी होने के मामले भी प्रकाशित हुआ करेंगे।

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