किसान हमेशा परेशान रहा है,आप आज़ादी के पहले और बाद के संदर्भ में समझ सकते हैं।आज़ादी के पहले मज़दूरों-किसानों को लेकर जो चिंता स्वामी सहजानंद जी कर रहे थे वही स्वामीनाथन आयोग कर रही कि प्रत्येक वर्ष लाखों किसान खेतीबाड़ी छोड़ देने को मजबुर हैं।स्वामी जी जिस चिंता को पिछली सदी में किसानों के लिए कर रहे थे आज आज़ाद हिंदुस्तान में भी केवल चिंता ही किया जा रहा है।आज किसान आंदोलन को छोटा करने के लिये अलग-अलग इवेंट मैनजमेंट किया जा रहा,सरकारी मंत्रियों का कार्यक्रम कराया जा रहा,उन्हें खालिस्तानी कह कर अपराधी घोषित किया जा रहा है।कुछ संघटनों और नेताओं को विदेश से फ़ंडिंग हो रही है ऐसा कहा जा रहा है।ये सब कोई नयी बातें नहीं पर जनता को जनता के ही विरुद्ध खड़ा करने की प्रवृति हमेशा से सत्ता प्रतिष्ठानों की रही है।
किसानों के खातों में रुपया भेज ऐसा महसूस करवाना की उनका जन्म कृतार्थ हो गया।उन कृतार्थ भये किसानों में कितनों पर आज मुक़दमा भी हो चूका और कितनों पर income tax की नोटिस भी पहुँच चुकी है।मध्यप्रदेश में कुछ किसानों को ऐसी ही नोटिस आयी है,अनुराग द्वारी की रिपोर्ट देखा जिसमें उक्त चर्चा थी।आज किसान को सरकारी ख़ैरात की क्या आवश्यकता है,आख़िर कब तक किसान यूँ ही पूँजीवादी सरकारों की बेग़ारी करता रहेगा?आज आप छोटा से छोटा चीज़ ख़रीदये उस पर MRP होता है अर्थात् अधिकतम खुदरा मूल्य और हम वो आसानी से देते हैं।आज किसान MSP माँग रहा है,MSP ही सरकारों का झोल है;सरकारी दामादों के चीजों का MRP और जिसे अन्नदाता कह मीठी गोली देते हो उसके अनाज का MSP।राहुल संस्कृत्यायन इन पूँजीवादी लोगों की जोंक कहते हैं,जोंक पीड़ा नही देता पर ख़ून बहुत नफ़ासत से चूसता है।अन्नदाता का सम्मान करने का ढोंग करने वाले भी जोंक से कम नहीं।किसान सरकारों और देश को पालता है न कि सरकारें किसान को,ये जो पाखंड है न सम्मान का इसकी दरकार नहीं है।किसान वो घास है जिसे बकरी से लेके हाथी तक चरते हैं पर वो सुख के भी नही सुख रहा शायद यही उसकी नियति बना दी है सरकारों और जोकों ने।आज ही नहीं हमेशा से किसानों को और उनके हितचिंतकों को जो उनके अधिकारों की बात करते हैं उन्हें राष्ट्रविरोधी कह अपराधी घोषित करने की कोशिश हुयी है।स्वामी सहजानंद ग़ुलाम भारत में किसानों के लिए संघर्ष करते रहे कभी सत्ता प्रतिष्ठानों की चमचयी नही करी आज उन्हें भुलाने का कितना कुत्सित प्रयास हुआ ये सुधीजन जानते ही हैं।
ऋषि दयानंद ने सत्यार्थ प्रकाश में कहा है कि “किसान राजाओं का राजा है और किसान का अपमान राष्ट्र का अपमान है”।ऋषि दयानंद का काल क्या रहा है ये आप जानते ही हैं और आज का काल क्या है ये भी! आज ऋषि दयानंद के नाम लेकर कट्टरवाद को सह देने वाले काश!थोड़ा उनके किसान वाले चिंतन को भी ध्यान में रखते।आज वे अपने वज़ीरों को ले अलग-अलग समारोह आयोजित कर रहे और किसानों को राष्ट्रविरोधी बता रहे वो खुद राष्ट्रविरोधी हैं।
सूफी राघवेंद्र दास जी की ✍🏻से