Uttarakhand News: राजकीय भूमि से हटाए जा रहे अतिक्रमण पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बड़ा बयान आया है। उन्होंने राज्य के सभी नागरिकों को आश्वस्त करते हुए कहा कि सड़कों के किनारे राजकीय भूमि में अतिक्रमण हटाने के नाम पर सरकारी मशीनरी द्वारा किसी भी नागरिक का उत्पीड़न नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये हैं कि जिलाधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी विभाग द्वारा किसी भी नागरिक का उत्पीड़न न हो। उन्होंने कहा कि अभियान के दौरान किसी के भी वैध निर्माण में किसी भी तरह की तोड़-फोड़ नहीं की जाएगी।
उन्होंने कहा कि जब तक यह सुनिश्चित नहीं हो जाता कि किया गया निर्माण राजकीय भूमि में हैं और अवैध निर्माण को हटाया जाना आवश्यक है, तब तक कोई तोड़-फोड़ नहीं की जाए। परन्तु वन भूमि में लैन्ड जिहाद के नाम पर किये गये अवैध कब्जों के विरूद्ध कार्यवाही जारी रहेगी।
गौरतलब है कि प्रदेश में नदियों के किनारे वन विभाग की भूमि पर हुए अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। वन विभाग ने सेटेलाइट व भौतिक निरीक्षण के आधार पर बड़ी संख्या में अतिक्रमण चिह्नित किया था, जिसके तहत अब तक की कार्रवाई में 2507 एकड़ वन भूमि मुक्त करा दी गई है। इस दौरान वन विभाग की ओर से 23 छोटी नदियों के किनारे ही कई एकड़ भूमि कब्जा मुक्त कराई गई।
उत्तराखंड में बीते तीन माह से अधिक समय से वन क्षेत्र में अवैध कब्जों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। धर्मस्थल के नाम पर किए गए अतिक्रमण को ध्वस्त किया गया, जिसमें कुल 510 अवैध धर्मस्थल हटाए गए। इनमें 453 मजार और 45 मंदिर शामिल हैं। इस दौरान वन विभाग ने 741 हेक्टेयर से अधिक भूमि को कब्जामुक्त कराया गया। इसके बाद दूसरे चरण में करीब एक माह पूर्व नदियों के किनारे कार्रवाई शुरू की गई।
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