Category: कविता/शायरी

चल अकेला

कैसी जिंदगी जीने को मजबूर हो रहे जिनके लिए कमा रहे उन्हीं से दूर हो रहे….. आशियाना है बहुत ही सुंदर सा खूबसूरत महकाता हुआ गुलशन सा चार दिन तो…

यूं हीं मुस्कुराना है

सपनों के शहर में आशियां बनाया है वादों को मुकम्मल, हमने भी निभाया है राह कंटीली, पथरीली हो आई,तब… मखमली कालीन हौसलों का बिछाया है। चलते रहे संग संग आसमां…

हम मजदूर

बैशाख के महीने में तपती धूप, गर्मी,उमस से परे… गेहूं की बलिया बीनते बच्चे, बोरे में भरते, भरने को पेट, ईंट भट्टों पर ईंट ढ़ोते मजदूर मेहनत करने को मजबूर!…

दिल को अपने रुलाना नहीं चाहती

दिल को अपने रुलाना नहीं चाहती। सच की राहों पे जाना नहीं चाहती। ज़िंदगी है ज़रा सी मैं जी लूं इसे, मुद्दा कोई बनाना नहीं चाहती।। छीन लेती है खुशियां…

विश्व कविता दिवस पर विशेष पंक्तियां

प्रेम को सींचती,बढ़ रही कविता है। ज़िंदगी को सकल, गढ़ रही कविता है।। कर जतन, दर्द पीड़ा सहेजे हृदय चांद के शीर्ष पर, चढ़ रही कविता है।। ✍️अंजली श्रीवास्तव