पितृ प्रेम???
मैं कभी सोच ही नहीं पाई
पर देखा है
कितने पिताओं को
निभाते अपनी पात्रता
पर मैंने कभी नहीं जाना
क्या होता है
पितृ प्रेम
शायद इसीलिए
मेरी डायरी में
कोई कविता नहीं
कोई भावना नहीं
कोई व्याख्या नहीं
पिता की
✍️ सिम्मी हसन