स्वतंत्र लेखक-बालियान,चेयरमैन,पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन
फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास ने 7 अक्टूबर को इज़राइल में बर्बर हमला किया था। इस हमले में साफ तौर पर दिख रहा था कि हमास के आतंकियों में मानवीय संवेदना नाम की कोई चीज नहीं थी। इस हमले के फौरन बाद इजराइल ने इसे युद्ध का कार्य मानते हुए हमास के खिलाफ जंग का ऐलान किया था।मुस्लिम जगत को भी यह समझना होगा कि गाजा में युद्ध के लिए फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास जिम्मेदार है।
हमास ने 7 अक्टूबर को जो हमला किया था, उसमें करीब 1400 इजरायली मारे गए थे। और लगभग 250 इज़राइलियों को बंधक बनाकर गाजा ले गए थे, जिनमें महिलाएं और छोटे बच्चे भी शामिल थे। इज़राइल सरकार बंधकों को छुडाने के लिए यदि आतंकवादियों के आगे झुक जाती, तो सारी दुनिया के आतंकवादियों के हौसले बहुत बढ़ जाते और वो दुनिया के देशों में इस तरह की घटनाओं को अंजाम देना शुरू कर देते। इजरायल आतंकियों के साथ कभी सौदा नहीं करता है। अतीत में ऐसे कई मौके आए हैं, जब इजरायली लोगों को बंधक बनाया गया और इजरायल नेउन्हें लगभग सफलतापूर्वक और बिना किसी समझौते के छुड़ाया है। इसप्रकार इजरायल की स्पष्ट पॉलिसी है कि वह आतंकियों के साथ कभी सौदा नहीं करता है।
वेस्ट बैंक और गाजा का क्षेत्र हमेशा से ही दोनों पक्षों के बीच संघर्ष का मुख्य कारण रहा है।वेस्ट बैंक और गाजा को फ़िलिस्तीनी क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। बाइबिल में ये यहूदी साम्राज्यों की भूमि के रूप में भी जाना जाता था, जिस कारण यहूदी इसे अपनी प्राचीन मातृभूमि मानते है। जिसे लेकर हमेशा से संघर्ष होता रहता है।हमास ने अपने चार्टर में इजरायल को मिटाकर फ़िलिस्तीन में एक इस्लामी राज्य की स्थापना की घोषणा की हुई है।
दूसरी ओर इजरायल ने हमले के बाद हमास को पूरी तरह खत्म करने का संकल्प लिया है। संयुक्त सशस्त्र सेना इजरायल रक्षा बल (IDF) के जवान जवाबी कार्रवाई में लगे हैं। इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा है कि हमास ने इजरायल और उसके नागरिकों के खिलाफ बर्बर हमला किया है व महिलाएं और छोटे बच्चों को बंधक बनाया है, जो आजतक भी बंधक है। उन्होंने यह भी कहा है कि जो देश इजराइल की कार्यवाही को गलत बता रहे है, क्या उन्हें हमारे देश में हमास की बर्बरता व महिलाएं और छोटे बच्चों को बंधक बनाने की घटना नहीं दिख रही है।
पिछले महीने गाजा के एक अस्पताल में हुए विस्फोट के बाद दुनिया के सामने सही जानकारी आ गयी थी कि हमास के ही मिसफायर ने अस्पताल में मौजूद सैकड़ों लोगों की जान ली थी। इसके बाद हमले का दोष इजरायल पर थोप दिया गया था।
आज सारी दुनिया में इस बात पर विचार हो रहा है कि क्या इस्लामिक आतंकवादी इस्लामिक पुस्तकों की गलत व्यख्या के आधार पर निर्दोष लोगों की बर्बर हत्या करते हैं। आतंकवाद से जुड़े कुछ शोध के अनुसार इस्लामी आतंकवादी समूहों द्वारा नागरिकों पर हमलों के लिए दिए गए औचित्य इस्लामी पुस्तकों की इनके द्वारा ही की गयी व्याख्याओं से आते हैं। इन इस्लामी आतंकवादी समूहों में इस्लाम पन्थ की कट्टरता को प्रमुखता दी जाती है। अमेरिका में 11 सितम्बर की घटना के बाद से आतंकवाद से जुड़े शोध और संबद्ध गतिविधियों में काफी बढ़ोतरी हुई है, जिसके आधार पर यह निष्कर्ष निकला है।इसलिए इस्लामिक बुद्धिजीवियों को इस्लामिक पुस्तकों की सही व्याख्या बतानी होगी, ताकि आतंकवादी इन पुस्तकों का सहारा न ले सकें।
दुनिया में अधिकाँश मुसलमान आतंकवाद को समर्थन नहीं करते है।लेकिन कुछ मुस्लिम चरमपंथी संगठन दूसरे धर्मों के अस्तित्व को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। बाकी के शांतिप्रिय लोग इस असहिष्णुता का विरोध नहीं कर पाते है।जबकि इस सोच का विरोध होना चाहिए।
ईरान और यमन ने हमास के हमले का खुले तौर पर समर्थन किया है। वहीं दूसरी ओर भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जापान जैसे देश इजरायल के समर्थन में खड़े हैं।वहीं यूरोपियन यूनियन ने भी कहा कि इजरायल को अपनी संप्रभुता की रक्षा का अधिकार है। हमास की वजह से ही फिलिस्तीन की जनता को इजरायली घेराबंदी, हिंसा और युद्ध सहना पड़ रहा है, जिसके लिए भारत ने भी चिंता व्यक्त की है।।