हिन्दू धर्म के धार्मिक ग्रन्थ पुराण में कहा गया है कि जो व्यक्ति मर्यादा की रेखा पार करके परस्त्री अथवा परपुरुष से संबंध बनाता है,वह पाप का भागीदार होता है। बिना विवाह के किसी परस्त्री या किसी परपुरुष के साथ रहना भी पाप है। विवाह के बाद भी किसी के साथ यौन सम्बन्ध रखने के कारण हँसता खेलता परिवार भी उजाड़ जाता है। और बच्चों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
अवैध संबंधों के कारण परिवार टूटने के मामले तो आमतौर पर सामने आते रहे हैं, लेकिन अब इसने हिंसक रूप ले लिया है। हम रोजाना न्यूज़ पेपर में पढ़ते रहते है कि पति-पत्नी के अवैध सम्बन्धों में बाधा बनने पर पति-पत्नी ही एक-दूसरे की हत्या करा रहे है।और फिर जेल की सींखचों के पीछे अपनी नरक की जिन्दगी बिताते है। इसलिए सभी को किसी कार्य को करने से पहले उसके परिणाम के बारे में भी सोचना चाहिए। और परिस्थितियों को देखकर अपने आपको बदल लेना चाहिए ।
समाज में हर व्यक्ति को जिन्दगी में हर दिन सही और गलत के बीच एक चुनाव करना होता है। यदि व्यक्ति सही चुनाव करता है, तो बेहतर पर‍िणाम मिलते है। अगर व्यक्ति गलत चुनाव करता है, तो वह बर्बाद तक हो सकता है। इसलिए परवर‍िश के दौरान अगर बच्चे को सही और गलत के बीच फर्क करने का तरीका बता दिया जाए, तो आगे चलकर वो अपने लिए बेहतर रास्ता चुन पाएगा।
हमारे चारों तरफ जो लोग रहते हैं, रिश्तों में, घर, ऑफिस, पड़ोस, समाज में, उन सभी के अलग-अलग व्यवहार और संस्कार होते हैं और सबका जीवन जीने का तरीका उसकी जानकारी व सोच पर आधारित होता है। यदि हम सब अपना जीवन बदलना चाहते हैं तो अपनी सोच को बदलना होगा। क्योकि आपकी सोच, आपकी ज़िंदगी में होने वाली हर बात पर नियंत्रण रखती है और उसे तय करती है। आपकी सोच आपकी जानकारी का आधार क्या है,इस पर भी निर्भर करती है। हम सबको सामाजिक विषयों व ऐसे विषयों पर भी उचित जानकारी लेनी चाहिए और लगातार अच्छी पुस्तकें पढनी चाहिए। क्योकि पुस्तकें ज्ञान का भंडार होती हैं और हमें गलत मार्ग पर चलने से रोकती है।
हिंदू धर्म के सभी धार्मिक ग्रन्थों व पुस्तकों में विवाहेतर यौन संबंध को पाप कार्य बताया गया है। मनु स्मृति के अनुसार भी यदि कोई भी स्त्री –पुरुष मर्यादा को छोड़ किसी और से यौन संबंध स्थापित करते है, तो समाज में उनकी छवि खराब होती है और लोग उनको चरित्रहीन की नजरों से देखते हैं। जिस कारण वे अविश्वास के पात्र भी हो जाते हैं, जिससे उनके पारिवारिक और सामाजिक जीवन में अशांति हो जाती है।
मनोचिकित्सक के अनुसार हवस या धन-दौलत के चक्कर में कई लोग परिवार या जीवन साथी को दरकिनार कर अन्य से संबंध स्थापित कर लेते हैं। यह गलत कार्य परिवार के लिए बहुत ही घातक होता है। ऐसे लोगों के दिमाग में बस एक ही बात घूमती रहती है कि रास्ते के रोड़े को कैसे हटाया जाए और फिर वे गलत कार्य कर बैठते है। इस विषय में मनोचिकित्सक की राय है कि बेहतर होगा के खुद की इंद्रियों पर नियंत्रण रखा जाए। यदि किसी को ऐसे हालात व सोच से निकलने में दिक्कत है, तो उसे मनोचिकित्सक से परामर्श लेनी चाहिए।

लेख/अशोक बालियान,चेयरमैन,पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन

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