कहते हैं कि माँ का दूध बच्चे के लिए अमृत समान है, लेकिन अब यही बच्चे के लिए जहर बन गया है।

✒️ चौधरी सुमित सिंह

यह खबर कष्टदायक होने के साथ ही चेताने वाली भी है।
उत्तरप्रदेश के महराजगंज जिले में पिछले 10 महीनों में 111 बच्चे अपनी ही माँ का दूध पीने के कारण मर गये।
यह आंकड़े भी पूरे नही हैं, ये केवल उनके आंकड़े है जिनकी जांच हो पाई।
बगैर जाँच वाले तो ना जाने कितने होंगे।
आखिर क्या चीज माताओं को अपने ही बच्चो के लिए पूतना बना रही है ?
सिर्फ एक ही जवाब है – पेस्टिसाइड और केमिकल का सेवन।
फसल और सब्जियों में मनुष्य तो पेस्टीसाइड खा ही रहा है,जानवरों को भी चारे में ,सप्लीमेंट्स में पेस्टीसाइड और केमिकल ही खिलाया जा रहा है।
इसी कारण से आदमी भी जहरीला हो रहा है और मर रहा है।
किसी भी उम्र का व्यक्ति अचानक आने वाले हार्टअटैक से मर रहा है।
खेलते खेलते,जिम करते हुए , बैठे बिठाए मरने की कितनी ही खबर रोज आ रही है।
महिलाओं में गर्भपात का अनुपात भयंकर रूप से बढ़ रहा है।
महिला और पुरूष दोनो की नपुंसकता के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
शहर छोड़िये गांवों में गली गली से कैंसर के मामले सुनने में आ रहे हैं।
और इन सभी का कारण है प्लास्टिक का अधिक प्रयोग, अव्यवस्थित दिनचर्या, पेस्टीसाइड युक्त भोजन और खराब होता पानी।
पंजाब होते हुए जम्मू से चलने वाली जम्मू – अहमदाबाद एक्सप्रेस नाम की ट्रेन से इतने कैंसर के यात्री बीकानेर में इलाज के लिए जाते है कि इस ट्रेन का नाम ही कैंसर एक्सप्रेस ट्रेन पड़ गया।
पंजाब के किसान सबसे ज्यादा पेस्टीसाइड का प्रयोग करते हैं, पेस्टीसाइड का सबसे बड़ा बिजनेस पंजाब में ही है।
नतीजा सामने ही है – कैंसर।

सरकार को ऑर्गेनिक फार्मिंग के प्रति अत्यंत संवेदनशील बनना ही पड़ेगा।
ऑर्गेनिक फार्मिंग अब समय की मांग है।
यह समय किसानों को ऑर्गेनिक फार्मिंग का उचित प्रशिक्षण देने , ऑर्गेनिक फार्मिंग के विज्ञापन और जागरूकता शिविर लगाने का है।
किसानों की वर्तमान और भावी पीढ़ी को भी समझना पड़ेगा कि आने वाला समय जहरमुक्त खेती का है, इसलिए उन्हें यह सब सीखना पड़ेगा।
ऑर्गेनिक फार्मिंग में व्यापार के बड़े अवसर हैं।
कोई दूसरा यह व्यापार करके पैसे कमा लेगा तो फिर आंदोलन करते फिरेंगे।
किसानों को कोई दोष देने लगे कि वें देश को जहर खिला रहे हैं तो यह भी गलत होगा।
किसानों की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि वें स्वयं जो खाते हैं उसमें भी पेस्टीसाइड मिलाते है। क्योंकि जानकारी का अभाव है।

एक तो पहले से कम आमदनी और ऊपर से शरीर बीमारी का घर बन जाये, इससे ज्यादा क्या त्रासदी होगी किसान के लिए।

महराजगंज केवल एक जिला है।
उत्तरप्रदेश के 75 जिलों समेत देश के सैंकड़ो जिलों में कितनी बड़ी संख्या में माँ के दूध से बच्चो की जान जा रही होगी ?

गंभीर परिणाम से पहले यह समय चेत जाने का है।

Sumit ……

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