अलीगढ़। पुलिस प्रताड़ना से परेशान महिला ने आत्महत्या कर ली। इसके भाई के खिलाफ एक विधवा महिला के साथ मारपीट का मुकदमा दर्ज है। स्वजन का आरोप है कि शनिवार को लक्ष्मी और उसका बेटा खेत में फसल काट रहे थे। दोनों को पुलिस ले गई, थाने में मारपीट की, देर शाम छोड़ा। रविवार सुबह घर से पचास मीटर दूर महिला का शव पेड़ पर लटका मिला। यह देख लोगों ने हंगामा कर दिया।

छह घंटे तक प्रदर्शन किया। दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई का भरोसा मिलने पर ही लोग शांत हुए। मामले में एसएसपी संजीव सुमन ने दादों थाने के एसओ योगेंद्र सिंह को लाइन हाजिर कर दिया। एसपी देहात को मामले की जांच सौंपी है।
विधवा महिला मीना शुक्रवार की रात अपनी मां कुसमा देवी के साथ कमरे में सो रही थी। तभी देर रात करीब एक बजे याकेश यादव उर्फ छोटे छत के रास्ते घर में घुस गया। उसके साथी बिजेंद्र सिंह उर्फ बिज्जू, राजू और दो अन्य मकान के बाहर खड़े हुए थे। याकेश कमरे में सो रही मीना को बाल पकड़कर ले जाने लगा। अन्य महिलाओं ने विरोध भी किया, लेकिन उसने हथियार के बल पर सभी को डरा दिया। बट से हमला भी किया।
शनिवार सुबह घर से चार किलोमीटर दूर दूसरे गांव के पास मीना सड़क किनारे खेत में पड़ी मिली। मीना के जेठ श्यामसुंदर ने याकेश यादव व अन्य के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराया था। पुलिस को सूचना मिली थी कि याकेश यादव हमले में इस्तेमाल की गई पिस्टल व तमंचा को बहन लक्ष्मी देवी के पास रख गया है। इसी सिलिसले में पुलिस लक्ष्मी और उसके बेटे को पूछताछ के लिए थाने लेकर गई थी।

बाइपोलर डिसआर्डर में भी व्यक्ति करता आत्महत्या

बाइपोलर डिसआर्डर एक तरह का मानसिक रोग है, जिसमें व्यक्ति दो तरह के मूड से गुजरता है। कभी वह बेहद खुशी और एनर्जी से भरपूर महसूस करता है तो कभी अत्याधिक डिप्रेशन में। इस डिसआर्डर से जूझ रहे लोगों में आत्महत्या की दर काफी उच्च होती है। यह जानकारी शनिवार को बाइपोलर डिसआर्डर दिवस पर शुभ सुपरस्पेशिलिटी सेंटर के मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. वेद प्रकाश गुप्ता ने दी।

डा. गुप्ता ने बताया कि इस बीमारी की कई श्रेणियां हैं। मेनिऐक एपिसोड में मरीज को नींद लेने की जरूरत महसूस नहीं होती। स्वभाव हद से ज्यादा पाजिटिव रहता है। चिड़चिड़ापन, अकारण मारपीट, हैसियत से अधिक खर्च करना, बड़ी-बड़ी बातें करना, बिना सोचे-समझे ऐसे फैसले लेना, जिनसे वह मुसीबत में पड़ जाता है।

डिप्रेसिव एपिसोड के दौरान मरीज दुख, उदासी, निराशा, कम ऊर्जा, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और उन गतिविधियों में रुचि की हानि का अनुभव करता है। कई मरीजों को आत्महत्या का विचार आता है या खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं। उपचार न किया जाए तो जीवन की गुणवत्ता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।

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