देश की युवा पीढ़ी में पिछले कुछ वर्षों से शराब का सेवन बढ़ा है। और वे नशे की लत की तरफ़ बढ़ रहे है जबकि उनको यह समझना चाहिए कि सामाजिक तौर से अल्कोहल पीना और अल्कोहल का आदी हो जाना, दो बिल्कुल अलग बातें हैं। बहुत से ऐसे लोग हैं जो कुछ घूंट पीने के बाद नशा चढ़ने पर रुक जाते हैं। उन्हें हर शाम अल्कोहल की ज़रूरत नहीं पड़ती है।शराब के अत्यधिक एवं अनियंत्रित रूप में सेवन करने से अनेक शारीरिक, मानसिक,आर्थिक एवं सामजिक नुकसान होना शुरू हो जाते हैं।
अल्कोहल की लत के कई लक्षण हैं। जब आपको लत पड़ती है तो अल्कोहल पीना आपके लिए ज़रूरी हो जाता है, आप ख़ुद को रोक नहीं पाते हैं और अल्कोहल की लत आपको आत्मकेंद्रित, स्वार्थी और ख़ुद का ही नुक़सान करने वाला बना देती है। ब्रिटेन की सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि एक हफ़्ते में किसी को भी 14 ‘यूनिट’ (140 मिलीमीटर) से ज़्यादा शराब नहीं पीनी चाहिए।
ब्रिटेन की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा के अनुसार अल्कोहल और अवसाद में गहरा रिश्ता है। अगर आप पहले से ही निराश या दुखी हैं तो अल्कोहल इन भावनाओं को और बढ़ा सकती है। अल्कोहल का सेवन घटाने पर आप सुबह ज़्यादा तरोताज़ा महसूस करते हुए उठेंगे।
अक्सर अल्कोहल का सेवन करने वाला व्यक्ति यह स्वीकार नही करता है कि अल्कोहल उसके लिए जिन्दगी की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। बल्कि वह अपनी जिन्दगी में होने वाली परेशानियों की वजह अन्य व्यक्तियों या परिस्थितियों को ही बताता है।
अल्कोहल शराब का सेवन करने वाले व्यक्ति में चिड़चिड़ेपन के स्तर को बढ़ाता है, इसलिए उनके व्यवहार में गुस्सा व कठोरता आ जाती है और उसके परिवार में लगातार कलह रहने लगती है।
यदि अल्कोहल पीने वाला व्यक्ति काफी कोशिश के बाद भी अल्कोहल की मात्रा कम करने में असफल रहता है तो ये अल्कोहल की लत का लक्षण दर्शाता है। हमे यह समझना होगा कि जिंदगी में हमें बहुत कम समय मिलता है इसलिए हमें इसे ज्यादा से ज्यादा जीना चाहिए।
अल्कोहल की लत एक बीमारी है, न की आपकी जीवनशैली। आपको इसे बदलने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है। इस पोस्ट से हम संदेश देना चाहते है कि इच्छा शक्ति, मनोचिकित्सक की राय व् काउंसलिंग से अल्कोहल की लत से बर्बादी की तरफ जा रही यह जिंदगी दोबारा संवर सकती है।

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